
नैनीताल में नफ़रत के खिलाफ खड़ी हुई बहादुर युवती, हिंदू हुड़दंगों को घेर की सवालों की बौछार! दुम दबा कर भागे सभी हुड़दंगी!
नैनीताल का वो साहसी सच: एक युवती के तर्कों के आगे हारी नफ़रत, भीड़ हुई शर्मसार!
नैनीताल (उत्तराखंड)। उत्तराखंड के नैनीताल में एक घटना ने साम्प्रदायिक सौहार्द और न्याय की बहस को नई दिशा दे दी है। यहाँ एक मुस्लिम व्यक्ति पर एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा, उसको पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया, उसके बाद भी हिंदू संगठनों के कुछ उग्र समर्थकों ने हिंसा और नफ़रत का रास्ता अपनाया, लेकिन एक बहादुर युवती ने अकेले ही उनके आगे सवालों की दीवार खड़ी कर दी।
पुलिस ने बताया कि नैनीताल के एक इलाके में एक मुस्लिम युवक पर नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का आरोप लगा, बुधवार को ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इसके बाद हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ लोगों ने सामूहिक हिंसा शुरू कर दी। उन्होंने मुस्लिम समुदाय की दर्जनों दुकानें तोड़ीं, मुस्लिम व्यापारियों के साथ मारपीट की, जामा मस्जिद पर पथराव किया और शहर में नारेबाजी करते हुए मुस्लिम विरोधी भड़काऊ बयानबाजी की। अगले दिन (गुरुवार) यह समूह एक रैली निकालकर मुस्लिमों के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाने लगा।
तभी एक युवती ने अकेले ही इस भीड़ को घेर लिया और उनके दोगले रवैये पर करारा प्रहार किया। वीडियो में देखा जा सकता है कि युवती ने भीड़ से पूछा कि परसों ही गौशाला में गाय का बलात्कार हुआ था, उस पर आप लोग चुप क्यों थे? आपने मुस्लिम दुकानदारों को पीटा, उनकी दुकानें तोड़ीं। पूरे मुस्लिम समाज को गन्दी गन्दी गालियां दी, ऐसा नहीं होना चाहिए। कल अगर वे मेरे भाई को पीटने लगें, तो क्या आप उसे बचाने आएंगे? क्या वे मुस्लिम व्यक्ति आपकी तरह व्यापारी या मजदूर नहीं हैं? आप इस रैली में सभी मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं , यह बात ग़लत है। हिंदू-मुस्लिम करके देश को बाँट रहे हैं। क्या यह सही है?
उसके सवालों से भीड़ बौखला गई और लोग दुम दबाकर वहाँ से भागने लगे। युवती ने पुलिस की मौजूदगी को भी नहीं बख्शा। उसने कहा कि आपके सामने मुस्लिमों के खिलाफ ये गालियाँ और हिंसा हो रही है, आप क्या कर रहे हैं?
युवती के साहस ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। नेटिजन्स उसे “नैनीताल की शेरनी” बता रहे हैं। उसके परिवार और स्थानीय लोगों ने भी उसके साहस की सराहना की है। एक यूजर ने लिखा कि जब नफ़रत फैलाने वालों को ईमानदारी से सच बोलने वाला मिल जाता है, तो नफ़रत की दीवारें गिर जाती हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल:
घटना के बाद पुलिस ने हिंसा में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में लेने का दावा किया है, लेकिन युवती के सवालों ने प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय प्रशासन ने शहर में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की है।
इस घटना ने साबित किया कि नफ़रत का जवाब साहस और तर्क से दिया जा सकता है। युवती की आवाज़ ने न केवल नैनीताल बल्कि पूरे देश में साम्प्रदायिक एकता का संदेश दिया है। जैसा कि एक यूजर ने कहा कि आज नैनीताल में नफ़रत नहीं, बल्कि एक लड़की का सच जीत गया!