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रुड़की। मानवता की मिसाल पेश करते हुए खतौली क्षेत्र की समाजसेवी क्रांतिकारी शालू सैनी ने फिर एक बार एक लावारिस मृतक का अंतिम संस्कार बहन बनकर किया। नई मंडी श्मशान घाट पर हर रोज की तरह आज भी उन्होंने मृतक को पूरे विधि-विधान से अंतिम बिदाई दी। शालू सैनी ने बताया कि वे पिछले पांच से छह वर्षों से यह सेवा कार्य लगातार कर रही हैं और अब तक साढ़े पांच हजार से अधिक लावारिस शवों का पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुकी हैं।

भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि “हर लावारिस और बेसहारा मृतक से मेरा पुनर्जन्म का रिश्ता जुड़ा है, मैं किसी को भी तन्हा नहीं जाने दूंगी।” उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि इस पवित्र कार्य में सभी अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहयोग दें — चाहे लकड़ी, घी, सामग्री, कफ़न, एम्बुलेंस या किसी अन्य रूप में मदद हो।

शालू सैनी का कहना है कि यह सेवा सभी धर्मों के अनुशासन और परंपराओं के अनुसार की जाती है और प्रत्येक कर्मकांड का पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्होंने कहा कि वे इस बड़े कार्य को अकेले नहीं कर सकतीं, इसलिए समाज के हर वर्ग से सहयोग अपेक्षित है।

उन्होंने कहा, “बाबा भोलेनाथ की कृपा और आप सबके सहयोग से ही मेरा यह मिशन आगे बढ़ पाएगा। मेरी बस एक ही प्रार्थना है कि आप सभी अपने जीवन की कमाई में से थोड़ी सी राशि दान करें, ताकि हर मृतक को कफ़न नसीब हो सके और उसे सम्मानपूर्ण अंतिम विदाई दी जा सके।”

शालू सैनी की इस मानवीय पहल ने न केवल क्षेत्र में बल्कि पूरे उत्तराखंड में संवेदनाओं को जगा दिया है। वे आज उन असंख्य लावारिस आत्माओं की बहन बन चुकी हैं, जिन्हें मृत्यु के बाद भी स्नेह, सम्मान और अपनापन नहीं मिला था।

 

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