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फ़लस्तीन में एक छोटे बच्चे के साथ इसराइली सैनिकों द्वारा किए गए बर्बर व्यवहार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में कथित तौर पर 20 से अधिक सशस्त्र सैनिक एक निहत्थे बच्चे को जमीन पर गिराकर उसे बांधते और खींचते हुए ले जाते दिखाई देते हैं।

इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से बहस छेड़ दी है कि इसराइल की सुरक्षा नीतियों के नाम पर फ़लस्तीनी बच्चों और आम नागरिकों के साथ होने वाले ज़ुल्म व बर्बरता को कब तक नज़रअंदाज़ किया जाएगा। स्थानीय मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ऐसी घटनाएं हर रोज़ हो रही हैं, लेकिन न्याय या जवाबदेही लगभग न के बराबर है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि “यह सुरक्षा नहीं, बल्कि डर फैलाने की रणनीति है।” कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए इसराइल सरकार से जवाब मांगा है कि नाबालिगों के साथ ऐसे कठोर बर्ताव को किस आधार पर ‘आत्मरक्षा’ कहा जा सकता है।

दूसरी ओर, इसराइली अधिकारियों का कहना है कि उनकी कार्रवाई आत्मरक्षा और सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए आवश्यक है। हालांकि, बढ़ते वीडियो सबूतों और चश्मदीद बयानों ने इस दावे को संदेह के घेरे में ला दिया है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की जा रही है कि वह फिलहाल क्षेत्र में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर स्पष्ट रुख अपनाए और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए।

 

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