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मेनस्ट्रीम मीडिया से अलग सच दिखाने वाले पत्रकार के घर पर बुलडोज़र, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहस तेज़, अरफ़ाज़ डैंग के घर ढहाने पर उठे सवाल!

जम्मू के स्वतंत्र पत्रकार अरफ़ाज़ अहमद डैंग, जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों पर नागरिक मुद्दों और सरकारी नीतियों के प्रभाव पर बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं—इस बार खुद शिकार बन जाने के कारण।

 

स्थानीय प्रशासन ने हाल ही में उनके आवास पर बुलडोज़र कार्रवाई की, जिसके दौरान घर का एक हिस्सा गिरा दिया गया। प्रशासन ने इसे “अवैध निर्माण” बताया, लेकिन नागरिक संगठनों और कई पत्रकारों ने इस कदम को “आवाज़ दबाने की कोशिश” करार दिया।

अरफ़ाज़ डैंग लंबे समय से उन मुद्दों को उजागर करते रहे हैं, जिन्हें मुख्यधारा मीडिया अक्सर नज़रअंदाज़ कर देता है। सामाजिक न्याय, हाशिए पर रह रहे समुदायों और सरकारी जिम्मेदारी जैसे विषय उनके रिपोर्टिंग का केंद्र रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी आलोचनात्मक पत्रकारिता ही इस कार्रवाई की असली वजह है।

सोशल मीडिया पर अरफ़ाज़ की एक वीडियो चर्चा में है, जिसमें वह टूटे हुए घर के सामने खड़े होकर कहते हैं कि “जिन दीवारों के लिए वो दूसरों के हक़ की आवाज़ उठाते थे, आज वही दीवारें उनके अपने घर की बन गई हैं।” यह दृश्य स्वतंत्र पत्रकारिता की मौजूदा स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।

पत्रकार संगठनों ने जम्मू प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि बुलडोज़र कार्रवाई का इस्तेमाल dissent (विरोध की आवाज़) को कुचलने के औज़ार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला चर्चा में आ गया है, जहां कई संपादकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे भारत में प्रेस स्वतंत्रता के लिए “ख़तरे की घंटी” बताया है।

 

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