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इजरायली कमांडो ने गाजा राहत जहाज ‘मैडलीन’ पर किया अवैध कब्जा, ग्रेटा थनबर्ग सहित कार्यकर्ता हिरासत में!

अंतरराष्ट्रीय जल में हुई कार्रवाई को फ्लोटिला ने “समुद्री डकैती” बताया, जबकि इजरायल ने इसे “मीडिया प्रदर्शन” कहा!

फिलिस्तीनी क्षेत्र गाजा पट्टी में मानवीय संकट से निपटने के लिए रवाना फ्रीडम फ्लोटिला के जहाज ‘मैडलीन’ को इजरायली नौसैनिक बलों ने 9 जून की तड़के अंतरराष्ट्रीय जल में रोककर उस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। इस कार्रवाई में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और फ्रांसीसी यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन सहित सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया और उनकी जीवनरक्षक सहायता सामग्री जब्त कर ली गई।

घटना का क्रमवार विवरण

अवरोधन का समय और स्थान: स्थानीय समयानुसार तड़के 3:02 बजे (CET), जहाज मिस्र के तट से लगभग 160 समुद्री मील दूर अंतरराष्ट्रीय जल (अक्षांश: 31.95236° N, देशांतर: 32.38880° E) में था, जब इजरायली ड्रोन ने उसे घेर लिया।

हिंसक कार्रवाई: फ्लोटिला कोलिशन के अनुसार, इजरायली क्वाडकॉप्टर ड्रोन ने जहाज पर सफेद रंग का एक रासायनिक पदार्थ छिड़का, जिससे कार्यकर्ता यास्मीन एकर की आँखों में जलन हुई। संचार प्रणाली को जानबूझकर जाम कर दिया गया और रेडियो पर डरावनी आवाजें बजाई गईं।

बलपूर्वक बोर्डिंग: इजरायली कमांडो ने जहाज पर चढ़कर निहत्थे कार्यकर्ताओं को बंधक बना लिया। एक वीडियो में दिखाया गया कि कैसे कार्यकर्ता हाथ ऊपर उठाए जीवनरक्षक जैकेट पहने बैठे थे, जबकि सैनिक उन्हें पानी और सैंडविच दे रहे थे।

गंतव्य में बदलाव: जहाज को जबरन इजरायल के अशदोद बंदरगाह ले जाया गया, जहाँ कार्यकर्ताओं को “उनके देश वापस भेजे जाने” की बात कही गई।

जब्त की गई सहायता सामग्री

जहाज पर लदा मानवीय सामान, जिसमें शिशु फार्मूला, चिकित्सा आपूर्ति, खाद्य पदार्थ और बच्चों के लिए कृत्रिम अंग शामिल थे, को इजरायल ने जब्त कर लिया। हालाँकि इजरायली विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि इसे “मानवीय चैनलों के जरिए गाजा पहुँचाया जाएगा”।

फ्लोटिला कोलिशन के आरोप:

अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन: इंसानी राहत पहुँचाने वाले नागरिकों को हिरासत में लेना अवैध है।

ICJ के आदेशों की अवहेलना: गाजा में बिना रुकावट राहत पहुँचाने का बाध्यकारी आदेश दिया गया था।

अंतरराष्ट्रीय जल में “समुद्री डकैती”: जहाज का बलपूर्वक अवरोधन समुद्री कानून के खिलाफ है।

इजरायल का बचाव:

रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने फ्लोटिला को “आत्महत्या यॉट” और “हमास प्रचारक” बताया।

विदेश मंत्रालय ने इसे “मीडिया प्रदर्शन” कहा, जिसका “एकमात्र उद्देश्य प्रचार करना था”।

घेराबंदी को “हमास को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए जरूरी” ठहराया।

गाजा में मानवीय संकट का संदर्भ

इजरायल ने 2 मार्च से गाजा पर पूर्ण घेराबंदी लगा रखी है, जिससे 21 लाख लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। हालाँकि मई के अंत में कुछ सहायता की अनुमति दी गई, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह युद्धपूर्व स्तर का केवल 10% है। सेव द चिल्ड्रन की CEO जांति सोएरिप्टो ने खुलासा किया कि उनका संगठन मार्च से एक भी ट्रक गाजा में नहीं भेज पाया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हमास: इजरायल की कार्रवाई को “अंतरराष्ट्रीय कानून का जबरदस्त उल्लंघन” बताया।

CAIR (काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस): इसे “राज्य-प्रायोजित आतंकवाद” करार दिया।

आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री साइमन हैरिस: “भूखे गाजावासियों तक भोजन और दवा पहुँचाने का अविश्वसनीय प्रयास”।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

फ्रीडम फ्लोटिला कोलिशन 2007 से इजरायल की गाजा घेराबंदी को तोड़ने के लिए अभियान चला रहा है। मई 2025 में भी इसी समूह के जहाज ‘कॉन्शिएंस’ को माल्टा तट के पास ड्रोन हमले में निशाना बनाया गया था, जिसमें चार स्वयंसेवक घायल हुए थे। इजरायल ने उस हमले पर कोई टिप्पणी नहीं की थी।

अब क्या करेंगी ग्रेटा धनबर्ग और फ्लोटिला के अन्य साथी?

इजरायल ने कार्यकर्ताओं को अशदोद बंदरगाह पर 7 अक्टूबर के हमलों का वीडियो दिखाने का आदेश दिया है , जबकि फ्लोटिला समूह ने चेतावनी दी है कि वे “फिर से रवाना होंगे”। यह घटना गाजा में बिगड़ते मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की उपेक्षा के प्रश्न को गहरा करती है। विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया अब इस बात पर निर्भर करेगी कि इजरायल हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं और जब्त सामग्री के साथ कैसा व्यवहार करता है।

 

 

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