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ग़ाज़ा नरसंहार: शक्ति संतुलन और नैतिक विफलता का विश्लेषण! राहत का “ढोंग”: एक सुनियोजित योजना!

गाजा में चल रहा नरसंहार अमेरिकी छत्रछाया और अरब शासकों की मिलीभगत के घिनौने खेल का सीधा परिणाम है। इज़राइल को अघोषित छूट मिली हुई है, जिसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय मौन और विश्व समुदाय की विफलता का लाभ उठाकर गाजा का विध्वंस जारी रखे हुए है। अरब नेता फ़िलिस्तीनी रक्त से सनी अपनी शाही गद्दियों पर आराम फरमा रहे हैं और अरब जनता के साथ खुलेआम विश्वासघात कर रहे हैं, जिससे इज़राइल को रोक पाने की नाटकीय ‘राहत’ कोशिशें पूरी तरह धोखा और विफल साबित हो रही हैं।

1. इज़राइल की अप्रतिहत शक्ति का स्रोत

अमेरिकी संरक्षण: इज़राइल को अमेरिका से वार्षिक 3.8 अरब डॉलर की सैन्य सहायता मिलती है। यूएन सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने 45 बार इज़राइल के खिलाफ प्रस्तावों को वीटो किया है (2000-2024)।

सैन्य श्रेष्ठता: इज़राइल के पास परमाणु हथियारों सहित अत्याधुनिक हथियार प्रणालियाँ हैं, जबकि फ़िलिस्तीनियों के पास कोई सैन्य ढाँचा नहीं।

अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की अक्षमता: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने गाजा में “नरसंहार की संभावना” स्वीकार की, लेकिन इज़राइल पर प्रतिबंध लगाने में अमेरिकी दबाव के कारण विफल रहा।

2. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता

अमेरिका की भूमिका: बाइडेन-ट्रंप प्रशासन ने हथियार आपूर्ति जारी रखी, जबकि सार्वजनिक रूप से “मानवीय चिंता” जताई। यह दोहरी नीति इज़राइल को नरसंहार की खुली छूट देती है।

यूरोप की चुप्पी: ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश आर्थिक हितों (इज़राइल के साथ 45 अरब डॉलर व्यापार) के कारण ठोस कदम नहीं उठाते।

तुर्की की सीमाएँ: एर्दोगन ने इज़राइल को “युद्ध अपराधी” कहा, लेकिन नाटो सदस्य होने के बावजूद अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से सैन्य हस्तक्षेप नहीं किया।

3. राहत का “ढोंग”: एक सुनियोजित योजना!

राहत प्रयासों का ढोंग इसलिए है क्योंकि वे इजरायल द्वारा बाधित की जाती हैं, जबकि वैश्विक शक्तियाँ जानबूझकर हस्तक्षेप नहीं करना चाहतीं। दुनिया इच्छाशक्ति होने पर इजरायल को रोक सकती है, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक हितों के कारण नरसंहार को होने दिया जा रहा है।

इज़राइल मार्च 2024 से ग़ाज़ा में प्रतिदिन औसतन 10 ट्रक राहत घुसने देता है, जबकि आवश्यकता 500+ ट्रक प्रतिदिन है। यह भुखमरी को “नियंत्रित” करने की रणनीति है।

सहायता जब्ती का उद्देश्य: मेडिकल किट और बच्चों के कृत्रिम अंग जब्त करना साबित करता है कि इज़राइल फ़िलिस्तीनियों को मानवीय गरिमा से वंचित करना चाहता है।

नरसंहार का संदर्भ: ICJ के अनुसार, गाजा में 37,000+ मौतें (70% महिलाएँ/बच्चे), 92% आबादी कुपोषित, और 75% पेयजल स्रोत नष्ट होना नरसंहार के तत्व पूरे करते हैं।

4. अरब नेताओं की नैतिक विफलता

सामान्यीकरण का ढोंग: सऊदी अरब, यूएई ने “शांति वार्ता” के नाम पर इज़राइल के साथ संबंध सामान्य किए। 2023 में इज़राइल-यूएई व्यापार 2.5 अरब डॉलर पहुँचा।

आंतरिक दमन का डर: मिस्र, जॉर्डन जैसे देश अपनी जनता के गुस्से (80% आबादी फ़िलिस्तीन समर्थक) से भयभीत हैं, लेकिन इज़राइल को गाजा सीमा खोलने के लिए दबाव नहीं बना सके।

तेल राजस्व का दोहन: खाड़ी देशों ने 1948 से अब तक फ़िलिस्तीन को केवल 40 अरब डॉलर सहायता दी, जबकि उनका वार्षिक तेल राजस्व 500 अरब डॉलर से अधिक है।

5. निष्कर्ष: क्यों अरब शासकों का बहिष्कार ज़रूरी है?

सत्ता का अहंकार: अरब नेता शाही विलासिता में डूबे हैं (कतर की फ़ुटबॉल विश्वकप पर 200 अरब डॉलर खर्च), जबकि गाजा के बच्चे घास तक खा रहे हैं।

जनविरोधी गठजोड़: सऊदी-इज़राइल सुरक्षा समझौते पर चर्चा इस बात का प्रमाण है कि अरब शासक फ़िलिस्तीनियों को बलि का बकरा बनाने को तैयार हैं।

जनता की शक्ति: दुबई के बंदरगाह पर भारतीय मज़दूरों का बहिष्कार (2024), या तुर्की उपभोक्ताओं द्वारा इज़रायली उत्पादों की अस्वीकृति साबित करती है कि आम लोग ही बदलाव ला सकते हैं।

“गाजा का संकट किसी ‘युद्ध’ का परिणाम नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मानवता विरोधी प्रयोग है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय कानून की हत्या कर दी गई है। अरब जनता अगर अपने शासकों के विश्वासघात का बहिष्कार करे, तो इज़राइल की ‘अजेयता’ की कथा ध्वस्त हो सकती है।”

 

 

 

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