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गाजा में फिर नरसंहार: सहायता वितरण के दौरान भूखे फलस्तीनियों पर मे इजरायली गोलीबारी से 5 शहीद, 70 से अधिक जख्मी!

अमरीकी-इजरायली योजना बनी ‘मौत का जाल’, सहायता केंद्रों पर हमलों में 110 फिलिस्तीनियों की मौत

यूएन की चेतावनी: इजरायली नाकाबंदी हटाओ, नहीं तो गाजा का हर अस्पताल ‘कब्रिस्तान’ बन जाएगा!

रफ़ाह, गाजा (अद्यतन: 8 जून 2025): इजरायली सेना ने दक्षिणी गाजा के रफ़ाह में एक सहायता वितरण केंद्र के पास भूखे फिलिस्तीनियों पर गोलीबारी करके कम से कम 5 लोगों को मार डाला और 70 से अधिक को घायल कर दिया। यह घटना 8 जून सुबह अल-मवासी इलाके में घटी, जहाँ निजी संगठन “गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन” (GHF) के तहत खाद्य सामग्री बाँटी जा रही थी। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, घायलों में महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर है।

गोलीबारी की वजह: इजरायली सेना का दावा है कि कुछ फिलिस्तीनी “निर्धारित मार्ग से भटककर” सैनिकों के निकट पहुँच गए, जिसके बाद चेतावनी गोलियाँ चलाई गईं। हालाँकि, यूएन मानवाधिकार टीम और गवाहों ने बताया कि भीड़ पर सीधे हेलिकॉप्टर, नौसैनिक जहाजों और टैंकों से गोलाबारी की गई।

सहायता केंद्रों पर बढ़ता ख़तरा: यह घटना GHF केंद्रों पर हिंसा की लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। 27 मई से अब तक इन केंद्रों के पास हुई ऐसी घटनाओं में 110 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं। 7 जून को भी रफ़ाह में हमले में 8 लोगों की मौत हुई, जिसके बाद GHF ने संचालन रोक दिया।

विवादास्पद सहायता योजना:

“मौत का जाल” बनी GHF प्रणाली: GHF को अमेरिका और इजरायल ने यूएन की मौजूदा व्यवस्था को दरकिनार करके शुरू किया था। यह प्रणाली अराजकता और हिंसा का पर्याय बन गई है। क्योंकि:

  • केंद्र गाजा के दक्षिण में सैन्य क्षेत्रों में बनाए गए हैं, जहाँ लोगों को भोजन पाने के लिए किलोमीटर पैदल चलकर खंडहरों से गुजरना पड़ता है।
  • “पहले आओ-पहले पाओ” के नियम से बुजुर्ग, बच्चे और दिव्यांग वंचित रह जाते हैं।
  • इजरायल ने केंद्रों का समय सिर्फ़ सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक सीमित कर दिया है। बाकी समय वहाँ प्रवेश “निषेध” है।
  • यूएन और विशेषज्ञों की आलोचना: यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने GHF को “नागरिकों के प्रति पूर्ण उपेक्षा” बताया है। साथ ही चीन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ली ज़िक्सिन ने चेतावनी दी है कि यह योजना “गाजा के मानवीय संकट को और बढ़ाएगी”।

व्यापक मानवीय संकट:

अस्पतालों की भयावह स्थिति: गाजा के स्वास्थ्य मंत्री ने चेतावनी दी है कि ईंधन की कमी से 48 घंटों में अस्पताल “कब्रिस्तान” बन सकते हैं। उत्तरी गाजा का कोई भी अस्पताल काम नहीं कर रहा, और दक्षिण में बचे केंद्रों तक दवाइयाँ नहीं पहुँच पा रहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 51 दवाई वाली ट्रकों को इजरायल ने रोक रखा है।

भुखमरी का ख़तरा: यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा की 81% आबादी इजरायली सैन्य क्षेत्रों या “खाली करने” वाले इलाकों में फँसी है। इजरायल के रक्षा मंत्री ने खुलेआम सहायता को “हथियार” बताकर हमास के खिलाफ इस्तेमाल करने की बात कही है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इन हमलों को “युद्ध अपराध” करार दिया है और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के आदेशों का पालन करने की मांग की है। ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे इजरायली सहयोगी भी नाराज़ हैं और फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने की धमकी दे रहे हैं।

गाजा में मानवीय त्रासदी “सहायता” के नाम पर जारी है। जब तक इजरायल यूएन एजेंसियों को बिना रोकटोक काम करने की इजाज़त नहीं देता, तब तक निर्दोष फिलिस्तीनियों की मौतें रुकने के आसार नहीं हैं। जैसा कि यूएनआरडब्ल्यूए प्रमुख फिलिप लज़ारिनी ने कहा: “इजरायली नाकाबंदी हटाना ही गाजा को भुखमरी से बचाने का एकमात्र रास्ता है”।

 

 

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