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लॉस एंजेल्स में आप्रवासन छापों के विरोध में भड़के दंगे, ट्रंप ने तैनात किया नेशनल गार्ड!

आईसीई छापों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, कैलिफ़ोर्निया गार्ड की फेडरल तैनाती को गवर्नर न्यूजम ने कहा “उकसावा”

मानवाधिकारों की लड़ाई या कानून व्यवस्था? LA में आप्रवासन विवाद ने भड़काई सियासी आग!

लॉस एंजेल्स, 8 जून। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार रात कैलिफ़ोर्निया नेशनल गार्ड के 2,000 सैनिकों को लॉस एंजेल्स काउंटी में तैनात करने का आदेश दिया, जबकि शहर में फेडरल आप्रवासन अधिकारियों (आईसीई) की छापेमारी के विरोध में दूसरे दिन भी हिंसक प्रदर्शन जारी रहे। इमिग्रेंट राइट्स एक्टिविस्ट्स के अनुसार, पैरामाउंट और कॉम्पटन इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने आईसीई वाहनों पर पत्थरबाजी और आगजनी की, जिसके बाद फेडरल एजेंटों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया

घटनाक्रम की टाइमलाइन:

छापेमारी की शुरुआत (7 जून): आईसीई एजेंटों ने लॉस एंजेल्स के फैशन डिस्ट्रिक्ट, होम डिपो स्टोर्स और डेल्स डोनट्स जैसे स्थानों पर छापेमारी की। इन कार्रवाइयों का आधार एक अदालती आदेश था, जिसमें कर्मचारियों के नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने का संदेह जताया गया था।

118 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिनमें 44 को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया। डीएचएस के मुताबिक, इनमें पाँच आपराधिक संगठनों से जुड़े लोग और पूर्व अपराधी शामिल थे।

प्रदर्शनों में हिंसक एस्केलेशन: शुक्रवार शाम, मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर (लॉस एंजेल्स) के बाहर प्रदर्शनकारियों ने “सेट देम फ्री, लेट देम स्टे!” के नारे लगाए और भवन पर अपमानजनक ग्राफ़िटी बनाई। एपी की तस्वीरों में दिखा कि कैसे आंसू गैस और फ्लैशबैंग के बीच प्रदर्शनकारी और पुलिस भिड़ गए।

शनिवार को पैरामाउंट में प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने यूएस मार्शल्स सर्विस की बस को रोकने की कोशिश की और एजेंटों पर मोलोटोव कॉकटेल फेंके। लॉस एंजेल्स शेरिफ रॉबर्ट लूना ने पुष्टि की कि फेडरल एजेंटों ने गैर-घातक हथियारों का इस्तेमाल किया।

ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई: राष्ट्रपति ट्रंप ने टाइटल 10 अथॉरिटी का इस्तेमाल करते हुए नेशनल गार्ड तैनात किया, जो पॉसी कॉमिटेटस एक्ट का वेवर है। इस कदम को उन्होंने “दंगाइयों और लूटेरों” से निपटने का जरिया बताया।

रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चेतावनी दी कि यदि हिंसा जारी रही, तो कैंप पेंडलटन के सक्रिय मरीन सैनिकों को भी तैनात किया जाएगा, जो पहले से ही “हाई अलर्ट” पर हैं।

स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया:

गवर्नर गेविन न्यूजम ने ट्रंप के फैसले को “जानबूझकर उकसावा” बताते हुए कहा कि यह “जनता के विश्वास को खत्म करेगा”। उन्होंने जोर देकर कहा कि कैलिफ़ोर्निया में कानून व्यवस्था की कमी नहीं है, बल्कि ट्रंप प्रशासन “तमाशा चाहता है”।

लॉस एंजेल्स की मेयर करेन बास ने छापेमारी को “आतंक फैलाने वाला” करार दिया और शहरवासियों से शांतिपूर्ण विरोध का आह्वान किया। हालांकि, उन्होंने हिंसक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई का भी समर्थन किया।

प्रभाव क्या होगा 

मानवाधिकार चिंताएं: इमिग्रेंट डिफेंडर्स लॉ सेंटर ने बताया कि कुछ गिरफ्तार लोगों को तुरंत मेक्सिको डिपोर्ट कर दिया गया। एंजेलिका सालास (CHIRLA) ने गिरफ्तार लोगों तक वकीलों की पहुँच न होने को “बेहद चिंताजनक” बताया।

राजनीतिक विभाजन: व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने प्रदर्शनों को “हिंसक विद्रोह” कहा, जबकि कैलिफ़ोर्निया डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष रस्टी हिक्स ने छापेमारी को “ट्रंप प्रशासन की जानबूझकर उकसाने वाली कार्रवाई” बताई।

भविष्य की आशंकाएं: नेशनल गार्ड की टुकड़ियाँ अगले 24 घंटों में लॉस एंजेल्स पहुँचेंगी। स्थानीय संगठनों ने रविवार को तीसरे दिन का प्रदर्शन करने का आह्वान किया है, जिससे तनाव और बढ़ने की आशंका है।

“अब उन्हें पता चल गया है कि वे हमारे लोगों को अगवा नहीं कर सकते… उन्हें संगठित और जबरदस्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।”

— रॉन गोचेज़, प्रदर्शनकारी।

यह संकट अमेरिका में आप्रवासन नीति पर गहरे मतभेदों को उजागर करता है, जहाँ एक तरफ कानून प्रवर्तन की दलीलें हैं तो दूसरी ओर अप्रवासियों के अधिकारों की माँग। अगले कदम इस बात पर निर्भर करेंगे कि नेशनल गार्ड की तैनाती स्थिति को शांत करती है या आग में घी का काम करती है।

 

 

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