
सीजफायर के बाद इंदिरा गांधी की तारीफों पर रुबिका का तीखा ट्वीट, विवाद में आईं पत्रकार!
26/11 के बाद ‘गजनी’ बनने का सवाल उठाकर रुबिका ने भड़काए राजनीतिक बहस के तूफान!
क्या रुबिका का ट्वीट BJP का एजेंडा उठाता है? जनता ने कहा- ‘पत्रकारिता छोड़ बीजेपी में आएं!
सियासी बहसों में घिरीं पत्रकार रुबिका: क्या सच में BJP का है एजेंडा, या सिर्फ सवाल उठाने की आज़ादी?
नई दिल्ली: हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर (युद्धविराम) के बाद सोशल मीडिया पर नागरिकों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जमकर तारीफ शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि “इंदिरा जी ने कभी अमेरिका के दबाव में आकर पाकिस्तान के आगे हार नहीं मानी और 1971 के युद्ध में उसे घुटनों पर ला दिया था।” इस बहस के बीच सीनियर पत्रकार रुबिका लियाकत का एक ट्वीट चर्चा का केंद्र बन गया है। उन्होंने लिखा कि “आज जिन-जिन को इंदिरा जी याद आ रही हैं, वो 26/11 के बाद गजनी क्यों बन गए थे? इंदिरा जी मुंबई हमलों के बाद याद आई होती तो आज ये आलम न देखना पड़ता!”
रुबिका के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई यूजर्स ने उन पर “BJP का एजेंडा थोपने” का आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक पत्रकार की बजाय सत्तारूढ़ दल की प्रवक्ता लगती हैं। कुछ ने टिप्पणी की – “रुबिका जी, अगर आपको राजनीति करनी है तो BJP ज्वॉइन कर लें, पत्रकारिता के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल न करें।” वहीं, BJP समर्थकों ने इस ट्वीट का स्वागत करते हुए इसे “सच्चाई बोलने की हिम्मत” बताया।
क्या है विवाद का मूल मुद्दा?
सीजफायर के बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सैन्य कार्रवाई और वर्तमान सरकार की रणनीति की तुलना करने वालों को रुबिका के ट्वीट ने आड़े हाथों लिया है। उनका सवाल है कि जो लोग आज इंदिरा को याद कर रहे हैं, वे 2008 के मुंबई हमलों के बाद सख्त कार्रवाई की मांग करने वालों के साथ क्यों नहीं खड़े हुए? उनका इशारा कांग्रेस के उस रुख की ओर है, जब 26/11 के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने पाकिस्तान पर सीधी कार्रवाई नहीं की थी।
रुबिका का यह ट्वीट सिर्फ इंदिरा गांधी और वर्तमान सरकार की तुलना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पत्रकारिता और राजनीति के बीच की लकीर को फिर से परिभाषित करने वाली बहस छेड़ गया है। सोशल मीडिया पर #JournalistOrPolitician ट्रेंड कर रहा है, जहां जनता रुबिका से सीधे राजनीति में उतरने की मांग कर रही है।