कोलकाता में जुमा की नमाज़ और होली

 

कोलकाता में सड़क पर जुमा की नमाज़ और होली का सहअस्तित्व: सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल; ममता बनर्जी के नेतृत्व को श्रेय

यह सामंजस्य बिना प्रशासन और राज्य सरकार के ईमानदार प्रयासों के संभव नहीं था

कोलकाता, पश्चिम बंगाल: शुक्रवार को कोलकाता की सड़कों ने एक बार फिर धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता की अनूठी तस्वीर पेश की। यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्वक जुमा की नमाज़ अदा की और जब मस्जिद में जगह नहीं रही तो नमाज़ी सड़कों तक सफ़ लगा कर जुमा की नमाज़ अदा की, वहीं दूसरी ओर हिंदू समुदाय के लोग बिना किसी रुकावट के होली के रंगों में डूबे रहे। दोनों ही समुदायों के बीच आपसी सम्मान और सामंजस्य की यह मिसाल राज्य की सांस्कृतिक विविधता और शासनिक व प्रशासनिक प्रबंधन को रेखांकित करती है।

नमाज़ और होली: दो त्योहार, एक संदेश

शहर के कई इलाकों में मुस्लिम नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन के समन्वय से मस्जिदों के भर जाने के कारण सड़क किनारे जुमा की नमाज़ अदा की। इस दौरान यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए प्रशासन ने पहले से ही व्यवस्था कर रखी थी। वहीं, सड़कों पर होली खेलते हिंदू भाई भी मस्ती से गुजरते रहे और होली मनाते चले जा रहे थे व कुछ ही दूरी पर होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा था। होली खेलते लोगों और नमाज़ में शामिल लोगों के बीच किसी तरह की कोई तनातनी या असुविधा नहीं देखी गई।

प्रशासन और समुदायों का सहयोग

स्थानीय निवासियों ने बताया कि यह सामंजस्य बिना प्रशासन और राज्य सरकार के ईमानदार प्रयासों के संभव नहीं था। एक मुस्लिम युवा आफ़ाक ने कहा कि यहां हमें अपने धर्म का पालन करने की पूरी आज़ादी है। होली के दिन भी हमारी नमाज़ में किसी ने दखल नहीं दिया। वहीं, होली मनाते हुए हिंदू परिवार की सीमा देवी ने कहा कि “यह बंगाल और ख़ासकर कोलकाता की रवायत है। हम सब मिलकर रहते हैं, चाहे ईद हो या दुर्गा पूजा।”

ममता बनर्जी के नेतृत्व को श्रेय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की धर्मनिरपेक्ष नीतियों और सख़्त प्रशासनिक नियंत्रण ने राज्य में सांप्रदायिक एकता को मज़बूती दी है। बनर्जी लगातार यह सुनिश्चित करती हैं कि किसी भी समुदाय का उत्सव बिना भय के मनाया जा सके। टीएमसी नेता ने कहा कि “यही पश्चिम बंगाल की पहचान है। मुख्यमंत्री का फ़ोकस हमेशा ‘मा, माटी, मानुष’ (माँ, मिट्टी, और मनुष्य) पर रहा है।”

कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत

कोलकाता ने हमेशा से विविधताओं में एकता का संदेश दिया है। यहां दुर्गा पूजा, ईद, क्रिसमस, और होली सभी त्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। शुक्रवार का दिन इस बात का प्रमाण था कि अगर शासन में निष्ठा और न्याय हो, तो समाज में सौहार्द बना रह सकता है।

यह घटना न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है कि धर्म और संस्कृति के नाम पर बंटे समाज में भी शांति और सहअस्तित्व संभव है। ममता बनर्जी की नीतियों और जनता के सहयोग ने कोलकाता को “सिटी ऑफ़ जॉय” की उपाधि को सार्थक किया है।

 

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