
प्रधानमंत्री मोदी के बाबा बागेश्वर धाम दौरे पर उदित राज का बयान: “हिंदू राष्ट्र के एजेंडे की ओर इशारा?”
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने गुरुवार को एक ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “परोक्ष रूप से हिंदू राष्ट्र बनाने का अभियान” चलाने का आरोप लगाया। यह टिप्पणी पीएम मोदी के बाबा बागेश्वर धाम के दौरे और वहां के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को “छोटा भाई” बताने के बाद आई है।
पीएम मोदी का दौरा और विवादास्पद ट्वीट
बृहस्पतिवार, 23 फरवरी को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के चरखारी में बाबा बागेश्वर धाम के मंदिर में पूजा-अर्चना की और धर्मगुरु धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने शास्त्री को “मेरा छोटा भाई” कहकर संबोधित किया। इस घटना के बाद उदित राज ने ट्वीट कर कहा, “पीएम मोदी 23 फरवरी को बाबा बागेश्वर पहुंचे और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना छोटा भाई बताया। ये शातिर हिंदू राष्ट्र बनाने चला है… हिंदू राष्ट्र में शूद्रों का स्थान क्या होगा, बताने की जरूरत नहीं।”
उदित राज की चिंताएं और सियासी प्रतिक्रियाएं
उदित राज के ट्वीट ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का रुख “हिंदू राष्ट्र” के निर्माण की ओर है, जिसमें दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं। उन्होंने शूद्र समाज के ऐतिहासिक उत्पीड़न का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा समानता के संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है।
भाजपा ने अभी तक इस आरोप पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने निजी तौर पर उदित राज के बयान को “राजनीतिक प्रचार” बताया है। वहीं, दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
बाबा बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री का क्या महत्व है?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हाल के महीनों में चर्चा में रहे हैं। उनके अनुयायी उन्हें “भविष्यवक्ता” मानते हैं, जबकि उनके आलोचनकर्ता उन पर “अंधविश्वास फैलाने” का आरोप लगाते रहे हैं। बाबा बागेश्वर धाम का मंदिर हिंदू राष्ट्रवादी समूहों के लिए एक प्रतीकात्मक स्थल भी माना जाता है। पीएम मोदी का यह दौरा धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
यह विवाद भारतीय राजनीति में धर्म और संविधान के बीच चल रही बहस को फिर से उजागर करता है। जहां सत्तारूढ़ दल हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के अपने कदमों को “राष्ट्रीय गौरव” बताता है, वहीं विपक्ष इसे “साम्प्रदायिक एजेंडा” करार देता है। अब नजर इस बात पर है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में किस रूप में उभरता है।