सीज़ फायर का उल्लंघन: इज़रायली सेना का गाज़ा और लेबनान पर ज़ोरदार हमला, दो फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत
अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा नाकाबंदी हटाने की मांग के बावजूद इज़रायल ने इसे नज़रअंदाज़ करते हुए हमले जारी रखे हैं।
ग़ाज़ा। 7 मार्च। इज़रायली सेना ने गाजा शहर पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिनमें कम से कम दो फ़िलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब गाजा पट्टी पर लगी इज़रायली नाकाबंदी के कारण मानवीय संकट गहराता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा नाकाबंदी हटाने की मांग के बावजूद इज़रायल ने इसे नज़रअंदाज़ करते हुए हमले जारी रखे हैं।
लेबनान पर भीषण बमबारी:
इसी बीच, इज़रायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के इलाकों में 30 मिनट के अंदर 15 से अधिक बार बमबारी की। स्थानीय मीडिया के अनुसार, हिज़्बुल्लाह के साथ हुए युद्धविराम के बाद से यह “सबसे घनीभूत हमला” है। इस कार्रवाई से क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है।
यमन के हूथियों की चेतावनी:
यमन में सक्रिय हूथी समूह ने इज़रायल को चार दिनों का अल्टीमेटम देते हुए गाजा में भोजन, दवा और आश्रय की आपूर्ति पर लगी नाकाबंदी हटाने को कहा है। हूथियों ने चेतावनी दी कि यदि इज़रायल ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे “नौसेना अभियान” शुरू कर देंगे। इससे लाल सागर क्षेत्र में नई टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
गाजा में मानवीय त्रासदी का आंकड़ा:
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से अब तक इज़रायली हमलों में 48,440 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं और 111,845 घायल हुए हैं। वहीं, गाजा सरकारी मीडिया कार्यालय ने मृतकों की संख्या 61,709 बताई है। उनका कहना है कि हजारों लोग मलबे के नीचे दबे होने के कारण लापता हैं, जिनके जीवित बचने की उम्मीद नहीं है।
इज़रायल की ओर से पीड़ित:
इधर, 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नेतृत्व में हुए हमलों में इज़रायल में कम से कम 1,139 लोगों की जान गई थी और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था। इस घटना के बाद से इज़रायल ने गाजा पर व्यापक सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, जो अब तक जारी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने गाजा में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और नाकाबंदी तत्काल हटाने की मांग की है। हालांकि, इज़रायल सरकार का कहना है कि यह हमले “हमास के आतंकवादी ढांचे को खत्म करने” के लिए जरूरी हैं।
भविष्य की आशंकाएं:
विश्लेषकों का मानना है कि लेबनान और यमन में हुई ताज़ा घटनाएं इस संघर्ष को एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकती हैं। फ़िलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है, जबकि इज़रायल अपने “सुरक्षा हितों” पर अड़ा हुआ है।