
ट्रंप का चीन पर बड़ा प्रहार: सभी आयातित सामान पर 20% टैरिफ़ की घोषणा
चीन की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर संकट; पहले से लागू टैरिफ़ों का असर
बड़ा सवाल: क्या चीन टैरिफ़ का मुकाबला कर पाएगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित हर सामान पर 20% टैरिफ़ लगाकर नया आर्थिक हमला किया है। इससे पहले, अमेरिका ने चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100% और कपड़ों व जूतों पर 15% टैरिफ़ लगाया था। यह कदम चीन की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि चीन इलेक्ट्रिक कार, सोलर पैनल, खिलौने और कपड़ों जैसे उत्पादों का वैश्विक निर्यातक है।
चीन का वैश्विक व्यापार सरप्लस
2024 में चीन का निर्यात 3.5 ट्रिलियन डॉलर और आयात 2.5 ट्रिलियन डॉलर रहा, जिससे उसका व्यापार सरप्लस 1 ट्रिलियन डॉलर दर्ज हुआ। सस्ते श्रम, बुनियादी ढांचे और सप्लाई चेन के दम पर चीन दशकों से “विश्व का कारखाना” बना हुआ है। 1970 के दशक में अर्थव्यवस्था खोलने के बाद से ही यह वैश्विक बाजार में छाया रहा।
टैरिफ़ युद्ध का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
ट्रंप का दावा vs आलोचकों का तर्क
ट्रंप के अनुसार, यह टैरिफ़ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, नौकरियों की रक्षा करने और कर राजस्व बढ़ाने का जरिया है। हालांकि, एक आर्थिक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि 2017-2020 के दौरान लगाए गए टैरिफ़ों से अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ा था। नए टैरिफ़ से चीनी सामान की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अमेरिकी बाजार में घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।
टैरिफ़ क्या है और कैसे काम करता है?
आयातकों और उपभोक्ताओं पर असर
टैरिफ़ आयातित वस्तुओं पर लगने वाला अतिरिक्त शुल्क है, जिसका भुगतान आयातक करता है। उदाहरण के लिए, चीन से आए 4 डॉलर के सामान पर 20% टैरिफ़ लगने से उसकी कीमत 4.80 डॉलर हो जाएगी। इससे आयातित सामान महंगा होता है और उपभोक्ता स्थानीय उत्पादों को तरजीह देने लगते हैं। ट्रंप का मानना है कि इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: चीन कैसे बना ‘विश्व का कारखाना’
1970 के दशक के अंत में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार के लिए खोला। सरकारी निवेश, सस्ते श्रम और उन्नत सप्लाई चेन ने इसे विनिर्माण क्षेत्र में विश्वव्यापी नेता बना दिया। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ़ से इसकी प्रतिस्पर्धा कमजोर होने का खतरा है।
बड़ा सवाल: क्या चीन टैरिफ़ का मुकाबला कर पाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के पास अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ़ लगाने या अन्य देशों में बाजार तलाशने के विकल्प हैं। हालांकि, अमेरिका जैसे बड़े बाजार की कमी उसके निर्यात को प्रभावित कर सकती है। ट्रंप का लक्ष्य चीन को व्यापार समझौतों के लिए मजबूर करना है, लेकिन इस रणनीति के दीर्घकालिक परिणाम अभी अनिश्चित हैं।