बागपत/छपरौली (इमरान अब्बास) जिले के ग्राम बोढ़ा में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार किए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। उपलब्ध दस्तावेजों, फॉरेनसिक रिपोर्ट और अधिकारियों की रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद पूरा प्रकरण अब गंभीर आरोपों और प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बन चुका है।
ग्राम की बुजुर्ग महिला स्वर्गीय श्रीमती दयावती के दोनों बेटों—तेजबीर (मृत्यु 22 मार्च 2019) और राजबीर (मृत्यु 22 जुलाई 2022)—के संबंध में जारी मृत्यु प्रमाण पत्रों में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राजबीर के मृत्यु प्रमाण पत्र में उसकी पत्नी के रूप में पूजा का नाम डाल दिया गया, जबकि पूजा अपने दिवंगत पति तेजबीर के नाम की विधवा पेंशन ले रही है और आधार, बैंक, राशन कार्ड सहित सभी अभिलेखों में तेजबीर की पत्नी है।
फॉरेनसिक रिपोर्ट ने बढ़ाई आशंका
दिल्ली से कराई गई फॉरेनसिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए तैयार D-फॉर्म पर लगाया गया अंगूठा दयावती का नहीं है। इसके बाद आशा वर्कर बेबी ने भी लिखित में कहा कि D-फॉर्म पर किए गए हस्ताक्षर उसके नहीं हैं।
रिकॉर्डिंग और RTI ने खोली परत दर परत सच्चाई
खंड विकास कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर की रिकॉर्डिंग में ग्राम प्रधान के कहने पर गलत प्रमाण पत्र तैयार किए जाने की बात स्वीकार की गई।
ग्राम सचिव की रिकॉर्डिंग में भी दूसरा संशोधित मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की पुष्टि सामने आई।
RTI से यह भी उजागर हुआ कि राजबीर के प्रमाण पत्र के साथ “पत्नी” के रूप में पूजा का कोई दस्तावेज संलग्न नहीं था।
जिलाधिकारी ने किया संशोधन, पुराना प्रमाण पत्र अमान्य
दस्तावेजों की जांच के बाद 4 दिसंबर 2024 को जिलाधिकारी द्वारा संशोधित मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसमें पूजा का नाम हटा दिया गया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि पहले जारी किया गया प्रमाण पत्र जांच में गलत पाया गया था।
जाँच अधिकारियों की भूमिका पर उठे प्रश्न
प्रकरण में कई अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है—
जाँच अधिकारी SI नवनीत कुमार द्वारा पर्याप्त प्रमाण शामिल न किए जाने के आरोप लगे।
ADO अमित वर्मा और DPRO अरुण द्वारा तैयार रिपोर्टों में भी कई महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख न किए जाने की बात सामने आई।
ग्राम सचिव दीपक मान के पास उपलब्ध रिकॉर्ड में भी कई विसंगतियां सामने आईं।
ग्रामीणों में आक्रोश, निष्पक्ष कार्रवाई की माँग
गाँव में यह मामला चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि इतनी बड़ी अनियमितता के बाद भी संबंधित लोग सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं, जो प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना न सिर्फ आपराधिक कृत्य है बल्कि सरकारी अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ भी है, जिस पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है।
ग्राम बोढ़ा का यह मामला प्रशासनिक निगरानी और रिकॉर्ड सत्यापन की कमजोर व्यवस्था को उजागर करता है। अब पूरा क्षेत्र इस बात पर निगाहें टिकाए हुए है कि उच्च स्तर से इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।