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कैराना। कस्बे के गौशाला भवन में निरंतर 18 दिनों से चल रहा श्रीरामलीला महोत्सव रविवार रात प्रभु श्रीराम के राजतिलक के साथ धूमधाम से संपन्न हुआ। अंतिम दिन के मंचन में रावण वध, अयोध्या वापसी और भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के दृश्यों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे समाजसेवी अमित मित्तल, सागर मित्तल तथा राजीव वर्मा ने मंच पर पहुंचकर श्रीरामलीला के सभी कलाकारों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

18वें दिन की लीला में दिखाया गया कि लंका विजय के बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटते हैं। नगरवासियों ने पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। इसके उपरांत अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम का राजतिलक समारोह अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।

मुख्य अतिथि अमित मित्तल ने अपने संबोधन में कहा कि रामलीला भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाए रखे हुए है। राम का आदर्श जीवन, त्याग, प्रेम और धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि रामराज्य की परिकल्पना आज भी समाज के लिए अनुकरणीय है। कलाकारों ने अपने अभिनय से रामायण के प्रसंगों को जीवंत कर दिया।

मंचन में कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट अभिनय कला से दर्शकों का मन मोह लिया। इसमें श्रीराम की भूमिका सतीश प्रजापति, लक्ष्मण की राकेश प्रजापति, हनुमान की आशु गर्ग, सीता की शिवम गोयल, रावण की शगुन मित्तल, अंगद की अनमोल शर्मा, दशरथ की अनुज प्रजापति, शिव की मनोज मित्तल, नारद की मोहित शर्मा, कामदेव की प्रवीण काका, इंद्र व सुग्रीव की रोहित नामदेव, अहिरावण की प्रमोद गोयल, भरत, श्रवण, वशिष्ठ एवं कौशल्या की डॉ. सुशील, ताड़का की सोनू कश्यप, जनक की सुमित्रा, मंथरा की सन्नी, केकई की सागर गर्ग, शत्रुघ्न की शिव शर्मा, मेघनाथ की आशीष, परशुराम की अमन गोयल, खर-दूषण की आशीष सैनी तथा विभीषण की अभिषेक भारद्वाज ने निभाई।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों ने आयोजन की सफलता पर सभी सहयोगियों व दर्शकों का आभार व्यक्त किया। समिति ने कहा कि इस भव्य मंचन ने न केवल धार्मिक एकता का संदेश दिया, बल्कि समाज में सदाचार और मर्यादा के मूल्यों को भी पुनर्जीवित किया।

 

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