शिव महापुराण: श्री गणेश के जन्मोत्सव की लीला सुनाया प्रसंग
रिपोर्ट सादिक सिद्दीक़ी….
कांधला, मंगलवार को नगर के कैराना मार्ग स्थित सिद्ध पीठ माता वैष्णो देवी मंदिर व नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर के प्रांगण में आयोजित की जा रही दिव्य शिव महापुराण कथा मे कथाचार्य बृजमोहन शर्मा ने श्रद्धालुओं को धर्म उद्बोधन में कहा कि शिव महापुराण की कथाओं में भगवान श्री गणेश के जन्म की कथा अत्यंत रोचक, भावनात्मक और आध्यात्मिक है। यह कथा न केवल भगवान गणेश की उत्पत्ति को दर्शाती है, बल्कि माता पार्वती की शक्ति, भक्ति और सृजनात्मकता का भी प्रतीक है। उन्होंने कथा प्रसंग पर विस्तार से बताया कि
शिव महापुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जा रही थीं। उन्होंने अपने उबटन (चंदन और हल्दी के लेप) से एक सुंदर बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। वह बालक कोई और नहीं बल्कि भगवान गणेश ही थे।
पार्वती ने गणेश को आदेश दिया कि जब तक वह स्नान करके न लौटें, तब तक वह किसी को भी अंदर न आने दे। उसी समय भगवान शिव वहां पहुंचे, लेकिन गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। यह देखकर शिव क्रोधित हो उठे और अपने त्रिशूल से गणेश का मस्तक काट दिया।
जब माता पार्वती बाहर आईं और यह दृश्य देखा, तो वे अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं। उन्होंने पूरे सृष्टि को नष्ट करने की धमकी दी। तब भगवान शिव ने ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं के साथ मिलकर एक उपाय निकाला। शिव जी ने एक हाथी का सिर काटकर गणेश के शरीर पर स्थापित किया और उन्हें जीवनदान दिया।भगवान शिव ने श्री गणेश को आशीर्वाद दिया कि
किसी भी पूजा या कार्य की शुरुआत श्री गणेश के बिना नहीं होगी। यह कथा माता-पिता की कृपा, भक्तिभाव, और यह सिखाती है कि बाधाएं चाहे कितनी भी आएं, वे विघ्नहर्ता श्री गणेश के आशीर्वाद से दूर हो सकती हैं। शिव महापुराण कथा में भगवान शंकर की आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया इस दौरान दर्जनों श्रद्धालु मौजूद रहे।