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“नागपुर की सरज़मीं पर कांधला के शायर का कमाल – डॉ. जुनेद अख्तर की शायरी ने लूटा मुशायरे का महफिल, गूंज उठा मंच तालियों से”
विशेष संवाददाता:
नागपुर/कांधला उत्तर प्रदेश के शामली जनपद स्थित कांधला कस्बे के युवा और चर्चित शायर डॉ. जुनेद अख्तर ने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में आयोजित एक ऑल इंडिया मुशायरे में अपनी दमदार प्रस्तुति से ऐसा समां बांधा कि मंच से लेकर दर्शकदीर्घा तक तालियों की गूंज उठी और हर किसी की जुबां पर एक ही नाम था – “डॉ. जुनेद अख्तर, कांधला से!”
नागपुर की इस साहित्यिक शाम में देशभर से चुनिंदा और दिग्गज शायरों को बुलाया गया था, जिनमें इमरान प्रतापगढ़ी, आरिफ सैफी, मनवर राना की परंपरा से जुड़े कलमकार, और कई अन्य स्थापित शायर शामिल थे। इसी मंच पर जब कांधला के डॉ. जुनेद अख्तर का नाम पुकारा गया और उन्होंने माइक संभालते हुए अपने कलाम का आगाज़ किया, तो श्रोताओं के चेहरों पर उत्सुकता और कानों में शायरी की मिठास घुलने लगी।
जैसे ही उन्होंने अपना प्रतिनिधि शेर पढ़ा –
“मुझे ये पूछना है बाग़बां से,
शिकारी बाग़ में आया कहां से…”
तो पूरा पंडाल तालियों और “वाह-वाह” की गूंज से गूंज उठा।
लोगों ने न केवल इस शेर को सराहा, बल्कि बार-बार फरमाइश की कि डॉ. जुनेद अख्तर और कलाम सुनाएं।
इस मुशायरे में उन्होंने मोहब्बत, इंसानियत, सियासत और समाज के सवालों पर आधारित कई शेर और गज़लें पेश कीं, जो सीधे दिल को छूती रहीं। नागपुर की सरज़मीं पर कांधला की खुशबू उस रात साफ़ महसूस की गई। उनकी शायरी में जहां तहज़ीब की गहराई है, वहीं एक सोच और सवाल भी है, जो श्रोताओं के दिल और दिमाग दोनों को झकझोरता है।
डॉ. जुनेद अख्तर की इस शानदार प्रस्तुति को देखकर श्रोताओं ने सोशल मीडिया पर भी उन्हें बधाइयों से नवाज़ा। साहित्य और शायरी के दीवानों ने कहा कि “ये सिर्फ़ शेर नहीं, समाज की सच्चाई है – और डॉ. जुनेद जैसे शायर आज के दौर की ज़रूरत हैं।
कांधला का बढ़ा मान
डॉ. जुनेद अख्तर की इस सफलता से कांधला कस्बा गौरवांवित हुआ है। स्थानीय नागरिक, शिक्षाविद, साहित्यप्रेमी और युवाओं ने इसे अपने क्षेत्र की साहित्यिक शक्ति का प्रमाण बताया। नगरवासियों का कहना है कि जुनेद अख्तर की यह सफलता युवा प्रतिभाओं को एक नई प्रेरणा देगी।