
थाने में मिला उस मां को सुकून, जो अपनों के बीच गुम हो गई थी!
कांधला। (शामली) कांधला थाना परिसर में उस वक्त हर आंख नम हो गई जब एक बुजुर्ग महिला कांपते कदमों से थाने पहुंची — थकी हुई, टूटी हुई, और अपने ही बच्चों के सितम से टूटी हुई।
उसके पास न कोई सहारा था, न उम्मीद… बस हाथ में एक सफेद कागज़ था और दिल में इंसाफ की उम्मीद।उम्र के चलते शरीर जवाब दे रहा था, आते-आते थक कर थाने के आंगन में ज़मीन पर ही बैठ गई। वहां किसी ने उसकी चीख नहीं सुनी, मगर थाना प्रभारी सतीश कुमार की नज़र उस मां जैसी महिला पर पड़ी, तो वे खुद उठकर बाहर आए और ज़मीन पर उसके पास जाकर बैठ गए।
वह दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था…
एक पुलिस अफसर नहीं, एक सच्चा बेटा उस दिन उस मां के पास बैठा था।
सतीश कुमार ने पहले उसे प्यार से खाना खिलाया, फिर पूरे सम्मान के साथ उसकी सारी तकलीफें सुनीं।
उस मां ने बताया —
मेरे बच्चे मुझे तंग करते हैं, खाना नहीं देते… और अब घर से निकालने की बात करते हैं।
थाना प्रभारी ने तुरंत एक्शन लेने का भरोसा दिया..
जब अपने छोड़ देते हैं, तो सिस्टम का फर्ज है संभालना। आप अब अकेली नहीं हैं मां जी।
यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक मिसाल है:
थाने में इंसाफ मिला, सिर्फ कानून नहीं, ममता भी मिली।
सतीश कुमार — नाम नहीं, अब भरोसे की पहचान बन गए हैं।
जिस मां को घर से निकाला गया, उसे थाने ने गले लगाया।
थाने में बैठी मां — बेटे ने खाना खिलाया, इंसाफ दिया
सिस्टम में बची है इंसानियत — सतीश कुमार की मिसाल
कांधला थाना बना बेसहारा मां का आशियाना