
जैन श्मशान घाट पर पानी की किल्लत से जूझ रहे श्रद्धालु, सभासद ने जिलाधिकारी को लिखकर हैड पंप लगाने की मांग की! अंतिम संस्कार में बाधक बना जल संकट, कैराना के खुरगान रोड बाईपास स्थित श्मशान घाट में पेयजल सुविधा का अभाव है। श्मशान घाट पर हैड पंप की स्थापना से न केवल जैन बल्कि सभी समाज के लोगों को राहत मिलेगी।
कैराना, 09 जून। शहर के खुरगान रोड बाईपास पर निर्माणाधीन जैन समाज के श्मशान घाट में पेयजल सुविधा के अभाव ने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। तहसील दिवस के अवसर पर स्थानीय निवासियों और सभासद शगुन मित्तल ने प्रशासन से इस समस्या के त्वरित समाधान की मांग उठाई है। उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर श्मशान घाट के समीप सरकारी हैड पंप लगाने का अनुरोध किया है, ताकि अंतिम संस्कार के दौरान श्रद्धालुओं को जल संकट का सामना न करना पड़े।
समस्या का विस्तार
- श्मशान घाट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यह परियोजना अधूरी है:
- पेयजल की किल्लत: घाट पर पानी की कोई व्यवस्था न होने के कारण शवदाह और सफाई जैसे कार्य बाधित हो रहे हैं।
- सामुदायिक कठिनाइयाँ: जैन समाज के साथ-साथ अन्य समुदायों के लोग भी इस सुविधा पर निर्भर हैं, क्योंकि आसपास कोई वैकल्पिक जल स्रोत उपलब्ध नहीं है।
- मौसमी चुनौतियाँ: ग्रीष्मकाल में जल संकट और गहराने के कारण समस्या विकट होने की आशंका है।
सभासद की पहल और प्रशासनिक मांग
- सभासद शगुन मित्तल ने अपने पत्र में जिलाधिकारी से तीन प्रमुख बिंदुओं पर कार्रवाई का आग्रह किया:
- श्मशान घाट के नजदीक सरकारी हैड पंप की तत्काल स्थापना।
- पेयजल सुविधा को सामुदायिक उपयोग हेतु सुलभ बनाना।
- निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले ही व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मांग “मानवीय आवश्यकता” से जुड़ी है, जिसे प्राथमिकता देना प्रशासन का दायित्व है।
स्थानीयों की पीड़ा और व्यापक प्रभाव
ग्रामीणों व शहरवासियों ने बताया कि पेयजल अभाव के कारण:
अंतिम संस्कार के समय शुद्धता बनाए रखने में दिक्कत होती है।
दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले शोकाकुल परिजनों को अतिरिक्त कष्ट उठाना पड़ता है।
सफाई और अस्थि-संचयन जैसे संवेदनशील कार्य प्रभावित होते हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “श्मशान घाट जैसे पवित्र स्थल पर पानी की कमी आध्यात्मिक अनुभव को खंडित करती है”।
कैराना के जैन श्मशान घाट पर पेयजल सुविधा की मांग ने प्रशासनिक संवेदनशीलता की परीक्षा ली है। सभासद शगुन मित्तल की पहल और ग्रामीणों की आशाएँ अब जिलाधिकारी के निर्णय पर टिकी हैं। यदि इस मांग को शीघ्र पूरा किया गया, तो यह न केवल जैन समुदाय, बल्कि समस्त नागरिकों के लिए मानवीय समाधान साबित होगा। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ही श्रद्धालुओं को गरमी के दिनों में होने वाली कठिनाइयों से राहत दिला सकती है।