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इजरायली सेना ने अक्टूबर 7 के बाद 550 फिलिस्तीनी महिलाओं को गिरफ्तार किया: प्रशासनिक हिरासत और यातना के आरोप!

गुप्त फाइलों के आधार पर बंदी बनाई गईं फिलिस्तीनी महिलाएं, इजरायल की ‘होस्टेज’ नीति पर अंतरराष्ट्रीय चिंता!

फिलिस्तीनी महिला कैदियों पर अत्याचार: भूखा रखना, यौन हिंसा और मेडिकल उपेक्षा के शॉकिंग खुलासे!

रामाल्लाह/गाजा: फिलिस्तीनी कैदियों के अधिकारों की रक्षा करने वाले संगठन पैलेस्टिनियन प्रिजनर्स सोसाइटी (PPS) ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी कर खुलासा किया कि 7 अक्टूबर, 2023 को गाजा में हमास के हमले के बाद से इजरायली सेना ने कम से कम 545 फिलिस्तीनी महिलाओं और लड़कियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 47 महिलाएं अभी भी इजरायली जेलों में बंद हैं, जिनमें एक नाबालिग लड़की और दो गर्भवती महिलाएं शामिल हैं।

प्रशासनिक हिरासत: बिना मुकदमे के अनिश्चित कारावास!

रिपोर्ट के अनुसार, 8 महिलाओं को “प्रशासनिक हिरासत” के तहत रखा गया है, जिसमें उन पर कोई आरोप नहीं लगाया जाता और न ही उन्हें अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जाती है। इजरायल इसका औचित्य “सुरक्षा खतरा” बताकर करता है, लेकिन गुप्त फाइलों के आधार पर हिरासत को 6-6 महीने के लिए बार-बार बढ़ाया जाता है।

अद्दामीर संगठन के अनुसार, अप्रैल 2025 तक 3,500 से अधिक फिलिस्तीनियों को इसी तरह की हिरासत में रखा गया है, जिनमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और नाबालिग भी शामिल हैं।

महिलाओं को “होस्टेज” के रूप में इस्तेमाल करने की नीति!

फिलिस्तीनी अधिकार समूहों का आरोप है कि इजरायली सेना महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों को सरेंडर करने के लिए दबाव बनाने के लिए गिरफ्तार करती है। यह नीति 7 अक्टूबर के बाद और भी क्रूर हो गई है।

एक पूर्व कैदी (H.B.) ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के दौरान सैनिकों ने उनकी 8 और 10 साल की बेटियों को गोलियों से डराया, ताकि उनके पति आत्मसमर्पण कर दें।

जेलों में यातना और अमानवीय परिस्थितियां!

शारीरिक और यौन हिंसा: कैदियों ने स्ट्रिप सर्च, प्लास्टिक की बेड़ियां, अंधाधुंध पीटाई और यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। एक महिला ने बताया कि उन्हें अंधा करके रोटी जबरन खिलाई गई और पानी की ट्यूब से पिलाया गया।

मेडिकल उपेक्षा: डेमोन जेल में कैंसर से पीड़ित एक कैदी और दो गर्भवती महिलाओं को जानबूझकर इलाज से वंचित रखा गया है।

भूखा रखने की नीति: कैदियों को एक समय में सिर्फ एक रोटी दी जाती है, जिससे कई महिलाओं का वजन आधा रह गया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और इजरायल का बचाव

संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स वॉच ने इन हिरासतों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है।

इजरायली सेना का कहना है कि ये गिरफ्तारियां “आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के संदेह” में की गई हैं और उनका उद्देश्य नागरिकों की दैनिक जिंदगी में बाधा डालना नहीं है।

फिलिस्तीनी महिला कैदियों की दशा पर मानवाधिकार संगठनों ने गंभीर चिंता जताई है। अद्दामीर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल पर दबाव बनाने की अपील की है, ताकि इन महिलाओं को न्याय मिल सके।

 

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