
सहारनपुर की खत्ता खेड़ी में मुर्गी फार्म को लेकर बवाल, नागरिकों में आक्रोश: मुर्गी फार्म को हटाने की मांग!
सहारनपुर वार्ड 36 में मुर्गी फार्म से बीमारियां फैलने की आशंका, कॉलोनी वासियों ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन!
नगर निगम की लापरवाही बनी मुद्दा! रिहायशी इलाके में चल रहा मुर्गी फार्म, स्वास्थ्य पर मंडराया खतरा!
सहारनपुर। नगर निगम के वार्ड 36 में स्थित खत्ता खेड़ी नाज़िम कॉलोनी के निवासी इन दिनों एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। यहां एक आवासीय क्षेत्र के बीचोबीच बने मुर्गी फार्म को लेकर कॉलोनी वासियों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। निवासियों का आरोप है कि इस फार्म से निकलने वाली दुर्गंध और गंदगी ने उनके दैनिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, साथ ही बीमारियों के फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मुर्गी फार्म पिछले कई महीनों से संचालित है और इसके चलते पूरी कॉलोनी में हवा बदबूदार हो गई है। फार्म से निकलने वाले कचरे का निस्तारण ठीक से नहीं होने के कारण मक्खियों और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। कई परिवारों ने शिकायत की है कि उनके बच्चों को सांस संबंधी समस्याएं और त्वचा रोग होने लगे हैं। नागरिकों ने बताया कि रात को खिड़की खोलकर सोना तक मुश्किल है। बदबू इतनी है कि खाना खाने में भी दिक्कत होती है।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल!
निवासियों ने नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग से कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कॉलोनी के युवाओं ने हाल ही में प्रदर्शन कर नारेबाजी की और फार्म को तुरंत हटाने की मांग की। उनका कहना है कि आवासीय क्षेत्र में ऐसे व्यावसायिक उद्योग चलाना नियमों के खिलाफ है। निगम अधिकारी केवल आश्वासन देकर टालमटूल कर रहे हैं।
क्या कहते हैं नियम?
सहारनपुर नगर निगम की नियमावली के अनुसार, आवासीय क्षेत्रों में पशु पालन या मुर्गी फार्म संचालन की अनुमति नहीं है। ऐसे में इस फार्म का संचालन कैसे शुरू हुआ, यह सवाल भी नागरिकों ने उठाया है। स्थानीय पार्षद ने मामले में हस्तक्षेप का वादा किया है, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
कॉलोनी वासियों ने चेतावनी दी है कि यदि फार्म नहीं हटाया गया, तो वे बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन करेंगे और जिला प्रशासन से सीधे हस्तक्षेप की मांग करेंगे। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच का दावा किया है, लेकिन नागरिकों का कहना है कि अब बात जांच की नहीं, कार्रवाई की है।
खत्ता खेड़ी नाज़िम कॉलोनी का यह मामला शहरी प्रशासन और नागरिक सुविधाओं के बीच की खाई को उजागर करता है। निवासियों की मांग स्पष्ट है कि या तो फार्म हटे या फिर हमारे स्वास्थ्य की गारंटी ली जाए। अब देखना है कि प्रशासन इस जनसमस्या को गंभीरता से लेता है या नहीं।