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राजस्थान की लोक संगीत मूर्ति “बेगम बतूल” को पद्म श्री से किया गया सम्मानित!

भजन और मांड गायन में मिसाल, बहुवाद्ययंत्र विदुषी बेगम बतूल ने रचा इतिहास!

संगीत से सशक्तिकरण का संदेश: बेगम बतूल महिलाओं को दे रहीं नई प्रेरणा!

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राजस्थान की मशहूर भजन एवं लोक मांड गायिका सुश्री बेगम बतूल को प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उनकी संगीत साधना, बहुमुखी प्रतिभा और महिला सशक्तिकरण के प्रति समर्पण को रेखांकित करता है।

राजस्थानी लोक संस्कृति की धरोहर!

बेगम बतूल राजस्थान की मांड गायन शैली और भजनों को नई पहचान देने वाली प्रमुख हस्तियों में शुमार हैं। उन्होंने न केवल पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे हारमोनियम, तबला, ढोलक, ढोल और डफ में महारत हासिल की है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वाद्ययंत्रों जैसे जेम्बे (Djembe) और डारबुका (Darbouka) में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उनकी यह बहुआयामी प्रतिभा भारतीय लोक संगीत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का काम कर रही है।

महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत!

सुश्री बतूल का जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उन्होंने न केवल संगीत के क्षेत्र में पारंपरिक रूढ़ियों को तोड़ा, बल्कि अन्य महिलाओं को भी अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। वह नियमित रूप से युवतियों को संगीत शिक्षा देने और उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करती हैं। उनका कहना है कि संगीत सिर्फ स्वरों का मेल नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और आजादी की आवाज़ भी है।

सम्मान पर प्रतिक्रियाएं!

इस पुरस्कार की घोषणा पर राजस्थान के सांस्कृतिक समुदाय में खुशी की लहर है। राज्य के मुख्यमंत्री ने बतूल को “राजस्थान की रूहानी आवाज़” बताते हुए उनकी उपलब्धियों को सलाम किया। वहीं, संगीत प्रेमियों का मानना है कि यह सम्मान लोक कलाओं के संरक्षण और नारी शक्ति को समर्पित एक ऐतिहासिक पल है।

बेगम बतूल का यह सफर न सिर्फ संगीत की दुनिया में उनके योगदान को दर्शाता है, बल्कि समाज में सांस्कृतिक विरासत और लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक है। पद्म श्री से सम्मानित होना उनकी लगन और समर्पण को एक नया आयाम देगा, ऐसी उम्मीद संगीत प्रेमियों ने जताई है।

 

 

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