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पहलगाम आतंकी हमले में शहीद निर्दोषों को शामली के हनुमान धाम में दी श्रद्धांजलि, स्कूल ने आयोजित की शोक सभा!

आतंकवाद मानवता पर हमला है, सेंट. आर. सी. कान्वेंट स्कूल की प्रबंधक ने किया नरसंहार की निंदा!

शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को पुष्पांजलि, शिक्षकों-विद्यार्थियों ने मांगा आतंक के खिलाफ कड़ा अभियान!

शामली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए सेंट. आर. सी. कान्वेंट स्कूल, शामली द्वारा नगर के प्रमुख मंदिर हनुमान धाम पर एक श्रद्धांजलि सभा और कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। इस हमले में स्कूल की अध्यापिका वैशाली के भाई लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शहीद हुए थे, जिनके सम्मान में विशेष पुष्पांजलि अर्पित की गई।

कार्यक्रम में स्कूल की प्रबंधक श्रीमती मीनू संगल, प्रधानाचार्या श्रीमती उज्मा ज़ैदी, समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं और विद्यार्थी उपस्थित रहे। सभी ने मृतकों की तस्वीरों पर फूल चढ़ाकर, दो मिनट का मौन रखकर और प्रार्थना सभा आयोजित कर शोक प्रकट किया। श्रीमती संगल ने इस हमले को “मानवता और शांति पर हमला” बताते हुए आतंकवादियों को कठोरतम सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल व्यक्तियों बल्कि समस्त मानवीय मूल्यों पर प्रहार है। ऐसे अपराधियों को इतनी सख्त सजा मिलनी चाहिए कि भविष्य में कोई इस तरह की हिमाकत न करे।

प्रधानाचार्या श्रीमती उज्मा ज़ैदी ने आतंकवाद को “वैश्विक कोढ़” करार देते हुए कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को जड़ से इसे खत्म करने की नीति बनानी होगी। सभी देशों को मिलकर आतंक के विरुद्ध अभियान चलाना होगा। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और परिजनों को धैर्य देने की प्रार्थना की।

शोकसभा में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के बलिदान को याद किया गया। स्कूल प्रशासन ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उनकी वीरता को सलाम किया। विद्यार्थियों ने “आतंकवाद मुर्दाबाद” और “निर्दोषों की हत्या बंद करो” जैसे नारों के साथ कैंडल मार्च निकालकर शांति का संदेश दिया।

सभा में उपस्थित लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की अपील की तथा सरकार से पीड़ितों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की मांग की। शामली नगर के लोगों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया कि आतंक की बर्बरता के आगे मानवता एकजुट होकर खड़ी रहेगी।

इस घटना ने एक बार फिर आतंकवाद की क्रूरता को उजागर किया है, लेकिन शामली के नागरिकों और शिक्षण संस्थानों ने साबित कर दिया कि संवेदनाएं और संकल्प ही अमानवीयता के विरुद्ध सबसे बड़ा हथियार हैं।

 

 

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