मानसी अभिनय गुरुकुल का सातवां अखिल भारतीय नाट्य समारोह: आत्महत्या रोकथाम और थियेटर में धूम्रपान विरोध का सशक्त संदेश
‘जीना इसी का नाम है’ नाटक ने जगाई जीवन की नई उम्मीद, अंधों के जीवन संघर्ष से दी प्रेरणा
रंगश्री सम्मान से नवाजे गए निर्देशक, नाटक के मंचन ने थामे समाज के सवाल

सहारनपुर। मानसी अभिनय गुरुकुल द्वारा आयोजित सातवें अखिल भारतीय नाट्य समारोह 2025 में लखनऊ की रंगमंडल ‘विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर’ ने नाटक ‘जीना इसी का नाम है’ का मंचन कर समाज को आत्महत्या रोकथाम और थियेटर में धूम्रपान विरोध का प्रेरक संदेश दिया। नाटक ने दर्शकों को जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा दी।
नाटक की थीम और प्रस्तुति:
नाटक के केंद्र में कांता बाई (निहारिका शर्मा) का चरित्र रहा, जिसने अंधेपन के बावजूद जीवन को सरलता और शांति से जीने का संदेश दिया। उनके संवाद “हमें अंधों से सीखना चाहिए जीवन जीना… क्या किसी अंधे को आत्महत्या करते देखा है?” ने वर्तमान समाज में बढ़ती आत्मघाती प्रवृत्ति पर करारा व्यंग्य किया। नाटक में जन्मांध व्यक्तियों के संघर्ष और परिस्थितिजन्य अंधापन की मार्मिक अभिव्यक्ति ने दर्शकों को झकझोर दिया।
सामाजिक संदेश और नवाचार:
धूम्रपान विरोध: एक दृश्य में कलाकारों ने सिगरेट पीने का केवल अभिनय किया, जिसके माध्यम से थियेटर कलाकारों और समाज को धूम्रपान न करने की सलाह दी गई।
सुसंस्कृत यौनिकता: नाटक में यौन शिक्षा और संवेदनशीलता को भी रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
तकनीकी और कलात्मक पहलू:
संगीत और प्रकाश: जुहू कुमारी के संगीत और कोमल प्रजापति के प्रकाश संचालन ने दृश्यों को जीवंत बना दिया।
भावपूर्ण अभिनय: चंद्रभाष सिंह (विकराल कोहली), आर्यन साहू (दीपू), और अभय प्रताप सिंह (सदाशिव) ने अपने दमदार अभिनय से पात्रों को साकार किया।
सम्मान और पुरस्कार:
निर्देशक चंद्रभाष सिंह को रंगश्री सम्मान से नवाजा गया, जबकि सभी कलाकारों को मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। मंच सज्जा में अर्पित मोदनवाल के योगदान को भी सराहा गया।
दर्शकों पर प्रभाव:
नाटक का सदाशिव की बलि वाला दृश्य दर्शकों के मन में भय और रहस्य का संचार करने में सफल रहा, वहीं मनोरंजन के साथ सामाजिक सरोकारों को जोड़ने की कला ने सभी को प्रभावित किया।
यह नाट्य समारोह न केवल कलात्मक उत्कृष्टता का प्रतीक था, बल्कि इसने समाज को जीवन मूल्यों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम भी साबित किया। मानसी अभिनय गुरुकुल के इस प्रयास ने सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक सोच का अनूठा संगम प्रस्तुत किया।