Image

 

विद्यारंभ संस्कार में नन्हें विद्यार्थियों ने सीखा संस्कारों का महत्व, यज्ञ और चरण वंदन से हुआ सत्रारंभ

संस्कार ही मनुष्य को पशु से अलग करते हैं: बेसिक शिक्षा अधिकारी कोमल

राष्ट्रपति ने किया स्वतंत्रता सेनानी विश्वंभरसिंह के नाम पर द्वार का लोकार्पण, शिक्षा के गौरव को बढ़ाया सम्मान

सहारनपुर। नेशन बिल्डर्स’ एकेडमी, बेरीबाग में आयोजित विद्यारंभ संस्कार के मौके पर नन्हें बच्चों ने संस्कार, यज्ञ और माता-पिता के प्रति सम्मान का पाठ सीखा। इस अवसर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुश्री कोमल ने कहा कि “शिक्षा का पहला उद्देश्य बच्चों को सुसंस्कृत बनाना और उनकी प्रतिभाओं को देशहित में विकसित करना है। संस्कार ही हमें पशु से अलग पहचान देते हैं।” उन्होंने विद्यालय के इस अनूठे आयोजन की सराहना करते हुए इसे अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणादायक बताया।

यज्ञ और वैज्ञानिक व्याख्या ने बढ़ाई रौनक

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक यज्ञ, सरस्वती वंदना और पुस्तक-लेखनी पूजन से हुई। यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कोमल ने कहा कि “यज्ञ से स्वास्थ्य, स्वच्छता और सर्वकल्याण की भावना विकसित होती है।” इस दौरान बच्चों ने मातृ-पितृ चरण वंदन का सही तरीका सीखा, जिससे मौका भावुक हो उठा। अभिभावकों ने भी बच्चों के इस ज्ञान को जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर द्वार का लोकार्पण

मौके पर देश के 14वें राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानी व राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित पंडित विश्वंभरसिंह के नाम पर बने द्वार का लोकार्पण किया। इसके साथ ही उन्होंने बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय के योगदान को रेखांकित किया।

“संसर्ग से होता है व्यक्तित्व का विकास”

पद्मश्री योगगुरु स्वामी भारत भूषण ने अपने आशीर्वचन में कहा कि “बच्चों का विकास मां के आलिंगन से लेकर बड़ों के आशीर्वाद तक के संसर्ग से होता है।” उन्होंने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग पर चिंता जताते हुए अभिभावकों से संतुलन बनाने का आग्रह किया। विद्यालय की प्राचार्या इष्ट कुमारी शर्मा ने अतिथियों को अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

नृत्यमयी सरस्वती वंदना और भावपूर्ण गीतों ने कार्यक्रम को संगीतमय बना दिया। संचालन सुरभि सेठी, यशोदा और अजय सिंह यादव ने किया। इस दौरान अभिभावकों ने विद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसे आयोजन बच्चों में संस्कार और जिम्मेदारी की भावना जगाते हैं।”

इस तरह, विद्यारंभ संस्कार ने न केवल बच्चों को नई शिक्षा दी, बल्कि समाज को संस्कारों की महत्ता का संदेश भी दिया।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!