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टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चलाया, कर्ज़ में डूबे इटावा के किसानों का दर्द वायरल

बीजेपी का ‘आय दोगुनी करने’ का वादा धूमिल, MSP गारंटी की मांग को लेकर किसानों में आक्रोश

टमाटर का दाम ‘शून्य’ तो 50 किसानों ने स्वयं जोत डाली फसल, कहा- लागत निकालना भी मुश्किल

 

इटावा (उत्तर प्रदेश)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक किसान अपनी साढ़े छह बीघा की टमाटर की फसल को ट्रैक्टर चलाकर बर्बाद करते दिखाई दे रहा है। यह घटना उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की है, जहां किसान ने मजबूरी में यह कदम उठाया। किसान का कहना है कि फसल की कीमत इतनी गिर गई कि उसे बेचने से होने वाली आय भी कटाई और मंडी तक पहुंचाने के खर्च से कम थी।

कर्ज़ लेकर उगाई थी फसल, परिणाम हुआ बर्बादी:

किसान ने बताया कि उसने टमाटर की खेती के लिए कर्ज़ लिया था, लेकिन बाजार में दाम गिरने के कारण उसे नुकसान उठाना पड़ा। उसने कहा कि टमाटर का भाव इतना गिरा कि एक किलो 1-2 रुपये भी नहीं मिल रहा। फसल काटने, साफ करने और मंडी ले जाने में जो खर्च आता, वह बिक्री से वसूल होने वाले पैसे से ज्यादा था। ऐसे में फसल को जोत देना ही बेहतर लगा।

50 से अधिक किसानों ने की ऐसी हरकत:

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इटावा और आसपास के इलाकों में करीब 50 किसानों ने पिछले कुछ दिनों में अपनी टमाटर की फसल को नष्ट कर दिया है। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं दी, जिसके चलते उनकी मेहनत और पूंजी दोनों डूब गई।

MSP कानून की मांग और सरकारी वादे पर सवाल:

इस घटना ने एक बार फिर कृषि कानूनों और MSP को लेकर बहस छेड़ दी है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने 2022 में कृषि कानून वापस ले लिए, लेकिन MSP को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बीजेपी ने 2014 और 2019 के चुनावी घोषणापत्र में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन इस मामले में किसानों का आरोप है कि “सरकार केवल बयानबाजी कर रही है, जमीनी हालात नहीं सुधर रहे।”

प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं:

इस मामले में जिला प्रशासन या कृषि विभाग ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि किसानों की समस्याओं को लेकर जल्द ही बैठक हो सकती है।

यह घटना कृषि संकट की गंभीरता को उजागर करती है। किसानों का मानना है कि MSP गारंटी कानून और बाजार में उचित दाम सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था के बिना उनकी स्थिति नहीं सुधरेगी। सरकार की ओर से ठोस पहल की मांग अब और जोर पकड़ रही है।

 

 

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