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हिमालय की गोद में योगाचार्यों को मिली दीक्षा, 17 साधक बने योग गुरु

स्वामी भारत भूषण और आचार्य प्रतिष्ठा ने किया सम्मानित, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने लिया प्रशिक्षण

500 घंटे की ऑनलाइन साधना के बाद हिमालय में पूरा किया अंतिम चरण

सहारनपुर। हिमालय की पावन वादियों में स्थित महादेव की नगरी मुक्तेश्वर में मोक्षायतन योग संस्थान द्वारा आयोजित भारत योग योगाचार्य कोर्स के अंतिम चरण का समापन हुआ। इस दौरान 17 नए योगाचार्यों को अंतर्राष्ट्रीय योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण और गुरु मां आचार्य प्रतिष्ठा की उपस्थिति में आचार्य दीक्षा प्रदान की गई। यह समारोह प्रकृति की गोद में योग के मूल तत्वों से जुड़ने का अनूठा अवसर बना।

अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने लिया हिस्सा

इस कोर्स में कोलकाता, बैंगलोर, मुरादाबाद, कानपुर, नोएडा, दिल्ली, बिहार, पुणे, इंदौर के साथ ही दुबई और लंदन से आए विद्यार्थियों ने भाग लिया। इन साधकों ने भारत की प्राचीन योग परंपरा की गहराई को समझने के साथ ही व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।

500 घंटे की ऑनलाइन साधना का सफर

संस्थान की निदेशक एवं विश्व प्रसिद्ध योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा ने बताया कि इन योगाचार्यों ने पहले 500 घंटे की ऑनलाइन ट्रेनिंग पूरी की, जिसमें योग थेरेपी और आध्यात्मिक अभ्यास शामिल थे। इसके बाद उन्होंने योग इंस्ट्रक्टर और योग शिक्षक का प्रशिक्षण लेते हुए अंतिम चरण में हिमालय में सीधे गुरुओं से मार्गदर्शन प्राप्त किया। आचार्य प्रतिष्ठा ने कहा कि अधिकांश विद्यार्थी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से शुरू हुई उनकी यात्रा आज समाज को योगमय जीवन देने के संकल्प तक पहुंची है।

हिमालय का वातावरण बना विशेष

संस्थान के परमाध्यक्ष स्वामी भारत भूषण ने बताया कि प्रशिक्षण का अंतिम चरण हिमालय में इसलिए आयोजित किया जाता है, ताकि साधक प्रकृति के निकट रहकर योग की गहन अनुभूति प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा यहां का शुद्ध वातावरण और ऋषि-मुनियों की साधना भूमि मन को एकाग्र करने में सहायक होती है।

यज्ञ और संकल्प के साथ समापन

दीक्षा समारोह के अंत में सभी नए योगाचार्यों ने यज्ञ के साक्ष्य में निरंतर साधना जारी रखने और समाज को योग के लाभ पहुंचाने का संकल्प लिया। स्वामी भारत भूषण ने जोर देकर कहा कि योग केवल शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि जीवन को सकारात्मक बनाने का मार्ग है।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने बताया कि हिमालय में प्रशिक्षण का यह अनुभव उनके जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक रूपांतरण लाया है। अब ये योगाचार्य देश-विदेश में योग के प्रचार-प्रसार और स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान देने के लिए तैयार हैं।

 

 

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