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शामली के चौंतरा में सिख समुदाय द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन, सुरेश राणा ने दी शुभकामनाएँ

 

शामली। जनपद शामली के ग्राम चौंतरा में राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक एकता की अलख जगाते हुए सिख समुदाय के भाइयों द्वारा एक भव्य होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री सुरेश राणा ने शिरकत करते हुए सभी को होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में ऐसे आयोजनों की अहमियत को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब

इस होली मिलन समारोह में गाँव के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुई। मुख्य अतिथि श्री सुरेश राणा ने अपने संबोधन में कहा कि होली रंगों का त्योहार ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ने का प्रतीक है। सिख समुदाय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रप्रेम का जीवंत उदाहरण है।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

इस अवसर पर क्षेत्र के कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद रहीं, जिनमें बलदेव सिंह (प्रमुख, रंगाना फार्म), सरदार जोगा सिंह, ऋषिपाल सिंह (चेयरमैन), सरदार गुरदास सिंह, गुरलाल प्रधान, विक्रमजीत सिंह, सरदार तक्खा सिंह, सरदार तरसेम सिंह, श्रीपाल आर्य, समाजसेवी राजन बत्रा, विशेष सरोहा और राजकुमार शर्मा प्रमुख थे। सभी ने होली के रंगों के साथ-साथ देशभक्ति के गीतों से कार्यक्रम को उत्साहपूर्ण बनाया।

राष्ट्रीय एकता का संदेश

“तलवारों पे सिर वार दिये, अंगारों में जिस्म जलाया है, तब जाके हमने सिर पे, ये केसरी रंग सजाया है…”

कार्यक्रम के दौरान “केसरी रंग” के माध्यम से भारतीय वीरता और बलिदान की गाथाओं को याद किया गया। श्री राणा ने कहा कि “यह रंग हमें उन शहीदों की याद दिलाता है, जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।” उन्होंने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान भी किया।

सामुदायिक सहयोग की मिसाल

स्थानीय संगठनों और ग्रामवासियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मिठाइयों और गुलाल के आदान-प्रदान के साथ समारोह का समापन हुआ। लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर होली की बधाई दी और “रंग बरसे” के सुरों में झूमते हुए सामुदायिक एकता का संदेश फैलाया।

इस तरह, चौंतरा गाँव का यह आयोजन न केवल त्योहार की खुशियाँ बाँटने, बल्कि राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का मंच बना।

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