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एमके स्टालिन ने यूसीसी का किया कड़ा विरोध: कहा कि समान नागरिक संहिता सामाजिक संरचना के लिए गम्भीर खतरा

चेन्नई। 13 जुलाई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एम.के.स्टालिन ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर कड़ा विरोध दर्ज करते हुए गुरुवार को कहा कि यूसीसी सामाजिक सामाजिक संरचना को चुनौती देने वाला एक गंभीर खतरा है।

विधि आयोग के अध्यक्ष को लिखे एक अर्ध-आधिकारिक पत्र में, उन्होंने भारत में यूसीसी के कार्यान्वयन के विचार पर तमिलनाडु की ओर से कड़ा विरोध व्यक्त किया, जो अपने बहु-सांस्कृतिक सामाजिक ताने-बाने के लिए प्रसिद्ध है।

उन्होंने संवैधानिक सुरक्षा, सांस्कृतिक एवं धार्मिक बहुलवाद, संघीय संरचना, सामाजिक सामंजस्य, ऐतिहासिक संदर्भ, अल्पसंख्यकों का अधिकार, सामाजिक-आर्थिक एवं सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का हवाला देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता में राज्य सरकारों, धार्मिक नेताओं और सामुदायिक प्रतिनिधियों के साथ व्यापक परामर्श नहीं किया गया है, जो कि एक स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

श्री स्टालिन ने विधि आयोग के अध्यक्ष से इन चिंताओं पर गंभीरता से विचार करने और समान नागरिक संहिता के साथ आगे बढ़ने के प्रस्ताव को छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें कानूनों को एक सामान करने के बजाय सभी लोगों के अधिकारों और अवसरों में एकरूपता लाने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।

श्री स्टालिन ने कहा , “हमें इस मूलभूत सिद्धांत को स्वीकार करने की आवश्यकता है कि विविधता से भरे इस देश में एकरूपता से एकता और प्रगति नहीं हो सकती है। हमारे देश की शक्ति इसकी विविधता में निहित है और हमें यूसीसी के माध्यम से इसे समरूप बनाने की कोशिश करने के बदले विविधता को बनाए रखना चाहिए और इसका जश्न मनाना चाहिए।”

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