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बिहार। बाढ़ की विभीषिका से जूझते उत्तर बिहार के लोग अब एक नए युग की दस्तक सुन रहे हैं। कोसी नदी पर बन रहा भेजा-बकौर पुल न सिर्फ़ दो जिलों—मधुबनी और सुपौल—को जोड़ेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की नियति बदल देगा। करीब 13.3 किलोमीटर लंबा यह पुल अब निर्माण के अंतिम चरण में है और जल्द ही यातायात के लिए खुलने की उम्मीद है।

वर्षों से बाढ़ और भौगोलिक अलगाव के कारण यह इलाका विकास की मुख्यधारा से कट गया था। लोगों को अपने ही राज्य के भीतर यात्रा करने के लिए लंबा 44 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था। लेकिन अब यह पुल दूरी को घटाकर न सिर्फ़ सुविधा देगा, बल्कि आपसी संपर्क, व्यापार और रोज़गार के नए अवसर भी खोलेगा।

यह पुल एनएच-27 को सीधे मधुबनी और सुपौल से जोड़ेगा, जिससे राजधानी पटना तक की यात्रा भी तेज़ और सहज हो जाएगी। साथ ही, नेपाल और पूर्वोत्तर भारत के मार्ग भी और सुगम बनेंगे। माना जा रहा है कि इससे सीमा पार व्यापार को गति मिलेगी और क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल “सिर्फ़ सड़क नहीं, उम्मीदों का सेतु” है। वर्षों से बाढ़ और टूटे संपर्क की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़मर्रा की सुविधाएँ यहाँ तक पहुँचना मुश्किल था। नए पुल के शुरू होने से इन बुनियादी सेवाओं तक पहुँच आसान होगी और निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना केवल इंजीनियरिंग का कमाल नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की मिसाल बनने जा रही है—एक ऐसा कदम जो कोसी को ‘बाढ़ की त्रासदी की धरती’ से ‘विकास की नई राह’ में बदल देगा।

 

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