सभी धर्मों को एकजुट होकर नफ़रत और हिंसा के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा – अल-क़ुरआन एकेडमी कैराना के निदेशक- मुफ़्ती अतहर शम्सी
कैराना। अल-क़ुरआन एकेडमी कैराना के निदेशक मुफ़्ती अतहर शम्सी ने हाल में राजधानी दिल्ली में लालकिले के निकट हुए बम विस्फोट की कठोर शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद इंसानियत का सबसे बड़ा कैंसर है, जो न केवल निर्दोषों की जान लेता है बल्कि समाज की आत्मा को भी जख्मी कर देता है।
मुफ़्ती शम्सी ने कहा कि इस घटना का सबसे दर्दनाक पक्ष यह है कि इसमें शामिल एक युवा और उसके साथी उच्च शिक्षित डॉक्टर थे, जिनका असली काम ज़िंदगियाँ बचाना था। उन्होंने कहा—”जब पढ़े-लिखे लोग हिंसा और विनाश की राह पकड़ लेते हैं, तो यह इंसानियत के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा विश्वासघात होता है।”
उन्होंने इस मौके पर इस्लाम की असली शिक्षा को याद करने की अपील की। मुफ़्ती शम्सी ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह ने केवल आत्मरक्षा में लड़ने की इजाज़त दी है, लेकिन ज़्यादती करने वालों को पसंद नहीं करता। उन्होंने बताया कि कुरान कहता है—“जिसने एक बेगुनाह की जान ली, उसने पूरी इंसानियत को क़त्ल कर दिया।”
मुफ़्ती शम्सी ने कहा कि इस्लाम किसी भी तरह की गैर-कानूनी हिंसा, आतंकवाद या निर्दोष लोगों की हत्या की इजाज़त नहीं देता। उन्होंने पैगंबर हज़रत मोहम्मद के जीवन से उदाहरण देते हुए कहा कि फ़त्ह-ए-मक्का के दिन जब पैगंबर के पास बदला लेने की पूरी शक्ति थी, तब भी उन्होंने अपने दुश्मनों से कहा—“जाओ, तुम सब आज़ाद हो।” यह संदेश अमन, रहमत और इंसाफ़ का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत है कि सभी धर्मों, जातियों और विचारधाराओं के लोग मिलकर आतंकवाद, नफ़रत और हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं। मुफ़्ती शम्सी ने देशवासियों से अपील की कि आतंकवाद को किसी धर्म या समुदाय से जोड़ने की भूल न करें। उन्होंने कहा—”यह नफ़रत फैलाने वालों की साज़िश है, और हमें एकजुट होकर इसे नाकाम करना होगा।”