
गर्मी से बचने के लिए कस्बे वासियों का सहारा पूर्वी यमुना नहर, प्रदूषण के बावजूद उमड़ी भीड़!
भीषण गर्मी से राहत के लिए कांधला कस्बे वासियों ने पूर्वी यमुना नहर में लगाई डुबकी, स्वास्थ्य जोखिम की अनदेखी!
गर्मी से राहत के लिए लोगों का नहर का सहारा लेना एक आपातकालीन स्थिति है, जिसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं!
कांधला (शामली), 11 जून। बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए कांधला कस्बे के सैकड़ों निवासी बुधवार को पूर्वी यमुना नहर में नहाने पहुंच गए। गर्मी ने जहां लोगों का सुकून छीना है, वहीं नहर के प्रदूषित पानी के बावजूद लोगों ने इसे ही गर्मी से निजात का जरिया बना लिया। हालांकि यह स्थिति स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
नहर में उमड़ी भीड़ का मंजर:
बुधवार सुबह से ही कांधला के पूर्वी यमुना नहर क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे नहाने पहुंचे। तापमान 44 डिग्री सेल्सियस को पार करने के बाद लोगों ने नहर के पानी में डुबकी लगाकर खुद को ठंडा करने की कोशिश की। स्थानीय निवासियों ने बताया कि “बिजली कटौती और घरों में पानी की सप्लाई ठप होने के कारण हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
पानी संकट और प्रदूषण: दोहरी मार:
पूर्वी यमुना नहर में पानी का संकट पहले से ही गहराया हुआ है। हथनी कुंड बैराज से आने वाले पानी की आपूर्ति में कमी के कारण नहर सूखी हुई है। इसके अलावा, नहर का पानी गंदगी और औद्योगिक कचरे से प्रदूषित हो चुका है।
स्वास्थ्य चेतावनी:
चिकित्सकों ने नहर के प्रदूषित पानी में नहाने को खतरनाक बताया है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अनुसार, “इस पानी में रासायनिक अवशेष और जीवाणु मौजूद हैं, जिससे त्वचा रोग, पीलिया और अन्य बीमारियाँ फैल सकती हैं।” इसके अलावा, शामली के इंडस्ट्रियल एरिया में जलभराव की समस्या भी नहर से जुड़े नालों के चौक होने के कारण बढ़ी है, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है।
कांधला कस्बे की यह स्थिति उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और बिजली व जल प्रबंधन की गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है। गर्मी से राहत के लिए लोगों का नहर का सहारा लेना एक आपातकालीन स्थिति है, जिसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं। प्रशासन को न केवल पानी की आपूर्ति बहाल करने बल्कि नहरों के प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे।