
भारत इजरायल को चेतावनी दे या राष्ट्र की मान्यता मान्यता समाप्त करे!
गाजा में इजरायली अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई: कैराना के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने PM मोदी को सौंपा ज्ञापन, इजरायल की राष्ट्र मान्यता रद्द करने की मांग!
53 हजार निर्दोषों की मौत, 76 दिन से भुखमरी का संकट; कार्यकर्ताओं ने कहा— ‘भारत इजरायल को चेतावनी दे या मान्यता समाप्त करे!
तहसीलदार को सौंपा गया ज्ञापन: ‘फिलिस्तीन में मानवीय संकट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता!

कैराना, 21 मई: निरन्तर तत्पर सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने इजरायल द्वारा फिलिस्तीन के गाजा पट्टी में किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन और हिंसा के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपा है। संगठन ने भारत सरकार से इजरायल को कड़ी चेतावनी देने अथवा उसकी राष्ट्रीय मान्यता समाप्त करने की मांग की है।
बुधवार को संगठन के अध्यक्ष शमून उस्मानी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल तहसीलदार अर्जुन चौहान से मिला और उनके माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों को “मानवता के विरुद्ध अपराध” बताते हुए कहा गया कि अब तक 53,000 से अधिक निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है। साथ ही, इजरायल ने 76 दिनों से गाजा में मानवीय सहायता और खाद्य आपूर्ति बंद कर रखी है, जिससे लाखों लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।
ज्ञापन की मुख्य मांगें:
- भारत सरकार इजरायल को गाजा में हिंसा रोकने के लिए तत्काल चेतावनी दे।
- यदि इजरायल मानवाधिकार उल्लंघन जारी रखता है, तो भारत उसकी राष्ट्रीय मान्यता समाप्त करे।
- फिलिस्तीनियों को तत्काल खाद्य, चिकित्सा और अंतरराष्ट्रीय सहायता पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
- यूरोपीय संघ के 17 देशों ने इजरायल के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों और व्यापार समझौतों की समीक्षा की मांग की है।
- ब्रिटेन ने इजरायल के साथ मुक्त व्यापार वार्ता स्थगित कर दी है, जबकि फ्रांस ने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का समर्थन दोहराया है।
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इजरायल के बीच गाजा में सीमित मानवीय सहायता को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है, लेकिन यह जरूरत के मुकाबले नाकाफी है।
इजरायल का रुख:
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव को खारिज करते हुए कहा है कि गाजा पर पूर्ण नियंत्रण तक सैन्य अभियान जारी रहेगा। उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की मांग “हमास के नरसंहार को इनाम देना” होगा।
कैराना के सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह प्रयास फिलिस्तीन में जारी मानवीय त्रासदी को वैश्विक स्तर पर उजागर करता है। भारत सरकार के सामने अब एक नैतिक दुविधा है—क्या वह इजरायल के साथ रणनीतिक संबंध बनाए रखेगी या मानवाधिकारों के पक्ष में खड़ी होगी?