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बीजेपी की ‘इजाज़त’ से आकाश आनंद को कोऑर्डिनेटर बनाने का आरोप, कांग्रेस नेता उदित राज ने बसपा-भाजपा गठजोड़ पर साधा निशाना!

तीसरी बार पद पर आकाश आनंद: उदित राज ने कहा- मायावती का लक्ष्य ‘संघ का एजेंडा बढ़ाएं, कांग्रेस पर हमला जारी रखें’!

बसपा में ‘परिवारवाद’ पर सियासी हलचल: उदित राज बोले- ‘अब भविष्य ही बताएगा, कब फिर चलता करेंगी मायावती!

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती द्वारा भतीजे आकाश आनंद को तीसरी बार चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाने के फैसले पर कांग्रेस नेता उदित राज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि यह नियुक्ति भाजपा की “इजाज़त” से हुई है और आकाश को पद पर बने रहने के लिए “संघ का एजेंडा बढ़ाना होगा”।

उदित राज के विवादित बयान की मुख्य बातें:

  • भाजपा से मिली मंजूरी का इशारा: उदित राज ने सवाल उठाया कि मायावती ने आकाश को पद देना क्यों शुरू किया, जबकि पिछले 16 महीनों में दो बार उन्हें हटाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि “लगता है बीजेपी से इजाज़त मिल गई होगी बनाने के लिए”।
  • रणनीति पर सलाह: उदित राज ने आकाश को सलाह दी कि वे भाजपा पर सीधा हमला करने से बचें, संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाएं, और कांग्रेस की आलोचना करते रहें। साथ ही, भाजपा को “नाम मात्र” लपेटकर रखें ताकि “अंधभक्त कार्यकर्ता” जुड़े रहें।
  • परिवारवाद पर प्रहार: उन्होंने बसपा को “भाई-भतीजे की पार्टी” बताते हुए कहा कि यह धीरे-धीरे सिकुड़ रही है और आने वाले दिनों में समाप्त हो जाएगी।

बसपा में आकाश आनंद का उतार-चढ़ाव:

तीन बार पद पर वापसी: आकाश को पहली बार 2023 में नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान विवादित बयानों के कारण हटा दिया गया। 40 दिन बाद माफी मांगकर वापसी की, और अब तीसरी बार उन्हें चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है।

मायावती की चेतावनी: बसपा सुप्रीमो ने आकाश को सावधानी बरतने और “पार्टी के हित में काम करने” का निर्देश दिया है।

बसपा की रणनीति:

दलित वोट बैंक को साधना: आकाश आनंद को युवा दलित नेता के रूप में प्रोजेक्ट करके बसपा दलितों, खासकर युवाओं, को लामबंद करना चाहती है।

बहुजन वालंटियर फोर्स (BVF) को सक्रिय करना: दलित उत्पीड़न और महापुरुषों के अपमान के मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने की योजना।

उदित राज के आरोपों ने एक बार फिर बसपा की आंतरिक रणनीति और भाजपा से संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आकाश आनंद की यह तीसरी वापसी क्या बसपा को चुनावी लाभ दिला पाएगी या फिर “परिवारवाद” के आरोपों को बढ़ावा देगी, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।

 

 

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