ड्रग्स व स्मोकिंग

 

कैराना क्षेत्र में नशा कारोबार का अंधेरा: 40% युवा ड्रग्स व स्मोकिंग की चपेट में, अपराधों में बढ़ोतरी!

स्मैक और इंजेक्शन की लत ने बर्बाद किए सैकड़ों युवा, परिवारों में मची त्राहि-त्राहि!

प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी: नशामुक्त समाज की ओर बढ़ाएं क़दम!

शामली: कैराना और आसपास के इलाकों में नशे का कारोबार तेजी से पांव पसार रहा है, जिससे बच्चों और युवाओं का भविष्य गहरे संकट में है। स्मैक, ड्रग्स, इंजेक्शन और सुलेशन जैसे नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता ने क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 15-30 वर्ष के 1.48 करोड़ बच्चे व युवा नशे के शिकार हैं, और कैराना क्षेत्र इसका एक चिंताजनक उदाहरण बन चुका है।

नशे की लत: अपराध की दुनिया में डूबते युवा!

नशे के आदी युवा नशा प्राप्त करने के लिए चोरी, स्नेचिंग और हिंसक अपराधों में लिप्त हो रहे हैं। जनपद के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां नशेड़ी युवाओं ने नशीले पदार्थ खरीदने के लिए चोरी की घटनाएं अंजाम दीं। कैराना में भी ऐसे कई मामले दर्ज किए गए हैं, जहां युवा नशे के लिए पैसों की जुगाड़ में अवैध गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।

नशे की लत ने युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बना दिया है। डॉक्टरों के अनुसार, नशा युवाओं में चिड़चिड़ापन, याददाश्त कमजोर होना और आक्रामक व्यवहार जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है। कई परिवारों ने बताया कि उनके बच्चे नशे के कारण पढ़ाई छोड़ चुके हैं और घर-परिवार से दूर हो गए हैं।

प्रशासन की निष्क्रियता के चलते आसान है नशे की आपूर्ति: गांव-गली तक पहुंचा जाल!

क्षेत्र में नशीले पदार्थों की आपूर्ति का नेटवर्क व्यापक है। स्थानीय मेडिकल स्टोर्स से लेकर अवैध तस्करों तक, नशा आसानी से उपलब्ध है। बिहार के बारसोई अनुमंडल की तरह, यहां भी सीमावर्ती इलाकों का फायदा उठाकर तस्करी की जा रही है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नाकाफी साबित हो रही है। हालांकि, कैराना क्षेत्र में कुछ सम्मानित नागरिकों ने सामुदायिक अभियान चलाकर नशे के खिलाफ मुहिम शुरू की है, जिससे प्रेरणा ली जा सकती है। कैराना के निवासियों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को नशा तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

समाधान के उपाय:

विजिलेंस मीडिया ग्रुप की टीम ने जब कुछ डॉक्टरों, सामाजिक संस्थाओं और बुद्धिजीवी बुजुर्गों से इस अंधकार का हल जानना चाहा तो उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए:

सख्त कानूनी कार्रवाई: नशा तस्करी करने वालों और आपूर्तिकर्ताओं पर एनडीपीएस एक्ट के तहत सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की जाए।

नशामुक्ति केंद्रों का विस्तार: बीकानेर के पीबीएम अस्पताल की तर्ज पर कैराना में भी नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं।

युवाओं को रोजगार: बेरोजगारी दूर करने के लिए मनरेगा और स्वरोजगार योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

जागरूकता अभियान: स्कूलों और कॉलेजों में नशे के दुष्प्रभावों पर सेमिनार आयोजित किए जाएं।

परिवारिक सहयोग: अभिभावकों को बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें सकारात्मक संगत में रखने की सलाह दी जाए।

कैराना क्षेत्र में नशे का कारोबार केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे समाज की चुनौती है। युवाओं को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास और ठोस नीतियों की आवश्यकता है। जैसा कि डॉ. कलाधर ने कहा कि नशा नाश का द्वार है, इससे दूर रहकर ही भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है।

 

 

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