लाठी डंडों से मारपीट

 

पैतृक ज़मीन और उधारी के विवाद में भाईयों की झड़प, पत्नी का मंगलसूत्र छीना

न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने दर्ज किया मामला, चार आरोपियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई

लाठी-डंडों से की गई मारपीट, महिला को लगीं गंभीर चोटें; थाना कांधला क्षेत्र में तहलका

शामली। कांधला। थाना क्षेत्र के गाँव मतनावली में पैतृक संपत्ति के बंटवारे और उधारी को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। मामले में एक दंपति के साथ मारपीट करने और महिला का मंगलसूत्र छीनने का आरोप लगा है। न्यायालय के निर्देश पर पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

पीड़ित अंकुर कुमार (निवासी मतनावली) ने बताया कि 16 मार्च को दोपहर करीब 12:45 बजे वह अपने भाई अजित से उधार दिए गए पैसे वापस मांगने और पैतृक संपत्ति के बंटवारे पर चर्चा करने उनके घर गया था। इसी दौरान अचानक अजित, उसकी पत्नी सविता उर्फ़ डोली, अजित के ससुर हरिप्रकाश (निवासी ढोलरी) और सरेश की पत्नी हरिप्रकाश ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। पीड़ित के अनुसार, हमलावरों ने “हत्या की नीयत” से उनकी पत्नी दीपा समेत उन पर प्रहार किए, जिससे दोनों को गंभीर चोटें आईं।

आरोप है कि हमलावरों ने दीपा के गले से ज़बरदस्ती उनका मंगलसूत्र (सोने का, करीब आधा तोला) छीन लिया। पीड़ित दंपति ने मेडिकल जाँच कराई और न्यायालय का रुख किया।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन पर कार्रवाई तेज़ की जा रही है। थाना प्रभारी ने कहा कि मामले में न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए सख़्त कदम उठाए जा रहे हैं। घटना के सभी पहलुओं की जाँच की जा रही है।

पारिवारिक विवाद का इतिहास:

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अंकुर और अजित के बीच पैतृक ज़मीन के बंटवारे को लेकर लंबे समय से तनाव चल रहा था। इसके अलावा, अजित द्वारा उधार ली गई रकम न चुकाने को लेकर भी विवाद बढ़ा। ग्रामीणों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच पहले भी कई बार झड़पें हो चुकी हैं, लेकिन इस बार हिंसा चरम पर पहुँच गई।

पुलिस अब आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ छीने गए मंगलसूत्र की बरामदगी के प्रयास में जुटी है। मामले में पीड़ित पक्ष ने न्यायालय से सुरक्षा और निष्पक्ष जाँच की मांग की है।

ख़बर में उल्लेखित तथ्य पुलिस और पीड़ित पक्ष के बयानों पर आधारित हैं। आरोपियों पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें तब तक निर्दोष माना जाएगा, जब तक अदालत द्वारा उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता।

 

 

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