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कांधला के द गोल्ड पब्लिक स्कूल में डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती: दलित उत्थान और समानता के संदेश के साथ मनाई गई

अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हर्ष पंवार को सम्मानित कर बाबा साहेब के सपनों को साकार करने का संकल्प

कविता और प्रेरणा के माध्यम से बच्चों में जगाई समानता की अलख: प्रधानाचार्य ने सुनाया अंबेडकर का संघर्ष

शामली। कांधला, 14 अप्रैल। दिल्ली-सहारनपुर नेशनल हाईवे स्थित द गोल्ड पब्लिक स्कूल में सोमवार को भारतीय संविधान के निर्माता एवं समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती भव्यता के साथ मनाई गई। इस अवसर पर बाबा साहेब के दलित समाज के उत्थान और समानता के संघर्ष को याद किया गया तथा छात्रों को उनके विचारों से प्रेरित किया गया ।

कार्यक्रम का शुभारंभ:

दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि: मुख्य अतिथि संदीप पंवार (प्रधान), प्रबंधक कृष्णपाल, और प्रधानाचार्य अजय कुमार ने सरस्वती देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

विशेष सम्मान: गाँव भारसी के हर्ष पंवार (जुडो-कराटे और किंग बॉक्सिंग में अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी) को पगड़ी और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्होंने बाबा साहेब के सपनों को खेल के माध्यम से साकार करने का संकल्प व्यक्त किया।

शिक्षा और संदेश:

कविता एवं प्रेरणा: प्रधानाचार्य अजय कुमार ने डॉ. अंबेडकर के जीवन संघर्ष पर आधारित कविता सुनाकर छात्रों को “देशप्रेम, समानता, और खेल के प्रति जागरूकता” का पाठ पढ़ाया। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब ने न केवल संविधान बनाया, बल्कि शिक्षा को सामाजिक बदलाव का हथियार बताया।

छात्रों का संकल्प: बच्चों ने “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो” के नारे के साथ समाज में समानता बनाए रखने का वादा किया।

मुख्य अतिथि का संबोधन:

संदीप पंवार ने अपने भाषण में कहा कि बाबा साहेब ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और देश को एक ऐसा संविधान दिया, जो सभी को समान अधिकार देता है। आज हमें उनके सपनों को साकार करने के लिए शिक्षा और खेल को बढ़ावा देना होगा।

कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:

प्रबंधक कृष्णपाल, सुबोध भारतीय (शिक्षाविद्),देविंद्र मलिक (समाजसेवी),अनिल कुमार (शिक्षक),कोऑर्डिनेटर करुणा सिंह,

सामाजिक प्रभाव और निष्कर्ष:

खेल और शिक्षा का संगम: हर्ष पंवार जैसे युवाओं को सम्मानित करने से छात्रों में खेल के प्रति रुचि बढ़ी।

संवैधानिक मूल्यों का प्रसार: बच्चों को संविधान की प्रस्तावना और अंबेडकर के विचारों से अवगत कराया गया, जिससे उनमें नैतिक जिम्मेदारी की भावना जागृत हुई।

सांस्थानिक प्रयास: स्कूल प्रशासन ने इस आयोजन के माध्यम से सामाजिक एकता और शैक्षिक उत्थान को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया।

ऐतिहासिक संदर्भ:

डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के माध्यम से समान नागरिक संहिता, महिला अधिकार, और शोषित वर्गों के उत्थान की नींव रखी। उन्हें 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है।

यह आयोजन न केवल बाबा साहेब को श्रद्धांजलि था, बल्कि उनके विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास भी रहा।

 

 

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