
कैराना में भव्य समारोह के साथ मनाई गई डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती, नगर पालिका से स्कूलों तक हुआ श्रद्धा सुमन!
संविधान निर्माता को याद करते हुए भाजपा ने बौद्ध विहार में किया पुष्पांजलि अर्पण!
शिक्षण संस्थानों में बाबा साहेब के जीवन संघर्ष और योगदान पर चर्चा, विद्यार्थियों ने लिया संकल्प!
शामली। कैराना: 14 अप्रैल भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पी और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती कैराना कस्बे में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। नगर पालिका परिषद, शिक्षण संस्थानों और राजनीतिक संगठनों ने बाबा साहेब के विचारों और संघर्षों को याद करते हुए विविध कार्यक्रम आयोजित किए।
नगर पालिका का आयोजन:
पालिकाध्यक्ष शमशाद अहमद अंसारी और अधिशासी अधिकारी समीर कुमार कश्यप के नेतृत्व में नगर पालिका परिषद में बाबा साहेब के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर पालिकाकर्मियों ने संविधान निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित किया। अंसारी ने कहा कि बाबा साहेब ने सामाजिक न्याय और समानता की नींव रखकर देश को नई दिशा दी।
शिक्षण संस्थानों में ज्ञान गोष्ठियाँ:
द न्यू हाइट्स एकेडमी: विद्यालय प्रधानाचार्य विवेक कुमार उपाध्याय और उप-प्रधानाचार्या त्रिप्ती सिंह ने बाबा साहेब के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके “शिक्षा, संघर्ष और संगठन” के मंत्र को याद किया। छात्रों को संविधान के मूल्यों से अवगत कराया गया।
सेंट आरसी साइंटिफिक कॉन्वेंट स्कूल: विद्यालय निदेशक यशपाल पंवार ने बताया कि अंबेडकर ने दलितों और शोषितों के उत्थान के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि संविधान के माध्यम से उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बाँधा।
भाजपा ने किया बौद्ध विहार में सम्मान: भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने मोहल्ला आलकलां स्थित बौद्ध विहार में बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाए। वरिष्ठ नेता अनिल चौहान ने कहा कि अंबेडकर ने सामाजिक न्याय की लड़ाई को संवैधानिक स्वरूप दिया, जो आज भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर मंडलाध्यक्ष अतुल मित्तल ने संविधान के प्रति निष्ठा जताई।
संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका:
विचार गोष्ठियों में बताया गया कि अंबेडकर ने 7,500 संशोधनों में से 2,500 को स्वीकार कर संविधान को अंतिम रूप दिया। ड्राफ्टिंग कमेटी के 7 सदस्यों में से अधिकांश की अनुपस्थिति के बावजूद, उन्होंने अकेले यह जिम्मेदारी निभाई 913। इस संदर्भ में उनके भाषणों में “सामाजिक लोकतंत्र” की अवधारणा पर विशेष जोर दिया गया था।
समाज के प्रति संदेश:
महिला सशक्तिकरण: शिक्षकों ने बाबा साहेब द्वारा हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को अधिकार दिलाने के प्रयासों को याद किया।
युवाओं से आह्वान: विद्यार्थियों ने “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो” के नारे के साथ समाज सेवा का संकल्प लिया।
कैराना में डॉ. अंबेडकर की जयंती न केवल एक समारोह, बल्कि सामाजिक चेतना का प्रतीक बन गई। उनके विचार आज भी शिक्षा, समानता और संवैधानिक मूल्यों को मजबूती देने की प्रेरणा देते हैं। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों ने यह साबित किया कि बाबा साहेब की विरासत को आज की पीढ़ी गर्व के साथ संजोए हुए है।