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राहुल गाँधी की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, अब राहुल गाँधी की सांसदी फिर से होगी बहाल,मौजूदा संसदीय सत्र मे होंगे शामिल।

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर अपराधिक मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्सीए बेंच ने फौरी राहत दी है।

अब राहुल गांधी की सांसदी फिर से बहाल होगी और वो मौजूदा सत्र में शामिल हो सकेंगे।
वहीं राहुल को बतौर सांसद मिलने वाला सरकारी घर फिर से मिल जाएगा।

और अगर राहुल गाँधी चाहें तो आगामी लोक सभा का चुनाव भी वह लड़ सकेंगे।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की तीन सदस्यीय बेंच ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर रोक लगा दी है। और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों ख़ास कर गुजरात हाई कोर्ट से कई तीखे सवाल भी किए और कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि भाषण में जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था, नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सजा क्यों दी और हाई कोर्ट ने भी पन्नों की भरमार करते हुए ये सज़ा बरकरार क्यों रखी, जज को फैसले में ये बात बतानी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता, जिसे कि उनके संसदिए क्षेत्र की जनता बिना सांसद के ना रहती, क्योंकि अगर अधिकतम सजा के चलते एक लोकसभा सीट बिना सांसद के रह जाएगी तो यह सिर्फ एक व्यक्ति के अधिकार का ही मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटर्स के अधिकार से भी जुड़ा मसला है।
आपको बता दें कि अदालत के इस फैसले से राहुल गांधी की सांसदी फिर से बहाल होगी और वो मौजूदा सत्र में शामिल हो सकेंगे।
वहीं राहुल को बतौर सांसद मिलने वाला सरकारी घर भी फिर से मिल जाएगा।
और अगर राहुल गाँधी चाहें तो आगामी लोक सभा का चुनाव भी लड़ सकते हैं, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला उनके खिलाफ ना हो।
आपको बताते चलें कि 11 अप्रैल 2019 को बेंगलुरु के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी, इस बयान के बाद बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, मामला सत्र अदालत में चार साल की अवधि तक चला, और अंतिम फैसला चालू वर्ष के 23 मार्च को सुनाया गया। मानहानि मामले में राहुल गांधी को अधिकतम दो साल की सजा सुनाई गई थी परिणामस्वरूप, उन्हें सांसद के रूप में अपना पद खोना पड़ा था।

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