IMG-20250721-WA0010

 

कांधला। (शामली) हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे थे… शरीर थक कर चूर, मगर मन में भोलेबाबा का जोश लिए जैसे ही सियाम कुमार और पीरिन्स कुमार कांधला के दिल्ली बस स्टैंड पर देर शाम पहुंचे, तो किस्मत ने उन्हें एक ऐसा हमदर्द दे दिया जो मजहब नहीं, सिर्फ इंसानियत की बात करता है।

बस स्टैंड पर ठेली की रखवाली कर रहे चौधरी राशिद जंग ने दो थके-हारे कांवड़ियों को देखा, तो न सिर्फ उनकी पीठ थपथपाई बल्कि उन्हें गले लगाकर स्वागत किया। जैसे घर के मेहमान आ गए हों। राशिद ने दोनों को बैठने के लिए जगह दी, पानी मंगवाया, फल दिए और कहा कि “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, ये तो इंसानियत की सेवा का मौका है।”

राशिद के इस व्यवहार ने वहां मौजूद हर शख्स को सोचने पर मजबूर कर दिया। न कोई जान-पहचान, न कोई रिश्ता, बस एक इंसान दूसरे इंसान की मदद कर रहा था। यह वही कांधला है जहां हिन्दू-मुस्लिम मिलकर तीज, ईद और दीपावली मनाते हैं – और आज इसी धरती ने फिर से भाईचारे का पैगाम दिया।

“जहां लोग धर्म के नाम पर लड़ते हैं, वहीं एक मुस्लिम युवक कांवड़ियों को गले लगाकर सेवा करता है। इससे बड़ी इंसानियत क्या हो सकती है?”

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है कहानी

राशिद और कांवड़ियों की इस मुलाकात की चर्चा अब सोशल मीडिया तक पहुंच गई है। लोग इसे कांधला का “भाईचारे वाला मोमेंट” बता रहे हैं और राशिद जंग को सैल्यूट कर रहे हैं।

आखिर में यही कहा गया  कि “ना राम, ना रहीम… जब दर्द दिखा, तो सिर्फ दिल से काम लिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!