
अशोक कुमार पांडेय की नई किताब ‘नेहरू और कश्मीर’ पर होगी चर्चा, यूएन से संसद तक के दस्तावेजों के साथ!
वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार पांडेय ने की ‘नेहरू और कश्मीर’ किताब की घोषणा, सबूतों के साथ उजागर करेंगे ऐतिहासिक तथ्य!
कश्मीर मुद्दे पर नेहरू की नीतियों का विश्लेषण करेगी अशोक पांडेय की नई पुस्तक, आठ महीने में होगी तैयार!
नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अशोक कुमार पांडेय ने अपनी आगामी पुस्तक की घोषणा करते हुए बताया कि वह “नेहरू और कश्मीर” नाम से एक नई किताब लिख रहे हैं, जिसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कश्मीर नीति का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने ट्विटर पर यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस पुस्तक में संयुक्त राष्ट्र से लेकर संसद तक की बहसों, अमेरिकी दबाव में जनमत संग्रह से इनकार और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों को शामिल किया जाएगा।
अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि वह लंबे समय से इस विषय पर शोध कर रहे हैं और पुस्तक को पूरा करने में उन्हें छह से आठ महीने का समय लग सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पिछली पुस्तक “तानाशाहों वाली किताब” पूरी हो चुकी है और जल्द ही प्रकाशित होगी।
क्या होगा खास इस किताब में?
- कश्मीर मुद्दे पर नेहरू सरकार के फैसलों का विश्लेषण!
- यूएन में हुई बहसों और भारत की रणनीति का विवरण!
- अमेरिकी दबाव के बावजूद जनमत संग्रह न कराने के कारण!
- संसदीय बहसों और ऐतिहासिक दस्तावेजों का संकलन!
क्यों है यह किताब चर्चा में?
हाल के वर्षों में कश्मीर को लेकर राजनीतिक बहस तेज हुई है, और नेहरू की नीतियों पर अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं। ऐसे में, अशोक कुमार पांडेय की यह पुस्तक एक तथ्य-आधारित दस्तावेज के रूप में सामने आ सकती है, जिसमें दावों के पीछे के प्रमाण भी होंगे।
पांडेय ने कहा कि वह इस पुस्तक में “एक-एक डीटेल सबूत के साथ” तथ्य रखेंगे, जिससे पाठकों को कश्मीर के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी। उनकी इस पुस्तक के प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक और ऐतिहासिक हलकों में इस पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है।
अंतिम अपडेट: अशोक कुमार पांडेय ने पुस्तक को लेकर कोई निश्चित प्रकाशन तिथि नहीं बताई है, लेकिन अनुमान है कि यह 2025 के अंत तक पाठकों के सामने आ सकती है।