श्वेता धीमान

 

यूपीएससी 2024: कांधला की तीन बेटियों ने एक साथ बनाया इतिहास, श्वेता ने 166वीं रैंक से रचा रिकॉर्ड!

तीन साल, तीन सफलताएं! श्वेता धीमान ने यूपीएससी में तीसरी बार किया कमाल!

एलम की श्वेता, आस्था और आयुषी ने यूपीएससी में मारी बाजी, क्षेत्र में गर्व की लहर!

शामली। कांधला: यूपीएससी 2024 के परिणामों ने विकास खंड कांधला के एलम क्षेत्र को देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। यहां की तीन बेटियों ने एक साथ यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास करके इतिहास रच दिया है। इनमें नगर पंचायत एलम की श्वेता धीमान ने 166वीं रैंक प्राप्त कर सबसे बड़ी सफलता हासिल की है, जबकि आस्था जैन (186वीं रैंक) और ताहिरपुर भभीसा की आयुषी चौधरी (290वीं रैंक) ने भी क्षेत्र का मान बढ़ाया है।

श्वेता का सफर: तीन साल, तीन जीत!

श्वेता धीमान (पिता: सतेन्द्रपाल धीमान) ने अपनी लगन से साबित किया कि मेहनत और हौसला सफलता की कुंजी है। उन्होंने पहली बार 2022 में यूपीएससी परीक्षा पास कर डिप्टी जेलर का पद हासिल किया। 2023 में उन्होंने दूसरी बार परीक्षा देकर भारतीय वन सेवा में चयन प्राप्त किया, जहां वह वर्तमान में प्रशिक्षण ले रही हैं। इस दौरान भी उन्होंने 2024 की परीक्षा की तैयारी जारी रखी और तीसरी बार 166वीं रैंक के साथ ऑल इंडिया टॉपर्स की सूची में जगह बनाई।

परिवार और गांव में खुशी का माहौल

श्वेता के चयन की खबर मिलते ही एलम स्थित उनके नाना इन्द्रपाल धीमान के आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। इन्द्रपाल ने बताया कि श्वेता की प्राथमिक शिक्षा कांधला में हुई। हाईस्कूल बागपत से और बीएससी दिल्ली यूनिवर्सिटी से की। उसके पिता सहेन्द्रपाल सेना से रिटायर्ड हैं और परिवार अब बड़ौत में रहता है। उन्होंने श्वेता की सफलता को परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र के लिए गौरव बताया।

तीनों बेटियों ने बढ़ाया क्षेत्र का सम्मान!

इस वर्ष कांधला क्षेत्र से तीन लड़कियों का यूपीएससी में चयन हुआ है। एलम की आस्था जैन ने 186वीं और ताहिरपुर भभीसा की आयुषी चौधरी ने 290वीं रैंक प्राप्त की। यह सामूहिक सफलता न केवल परिवारों, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह उपलब्धि दिखाती है कि साधनों की कमी भी मेधावी छात्राओं के जज्बे को नहीं रोक सकती।

शिक्षा और समर्पण है मंत्र

श्वेता की सफलता का श्रेय उनकी निरंतर मेहनत और परिवार के समर्थन को दिया जा रहा है। उनके दादा ने बताया कि श्वेता ने प्रशिक्षण के दौरान भी पढ़ाई नहीं छोड़ी और समय प्रबंधन के जरिए तैयारी की। क्षेत्र के शिक्षाविदों ने इन सफलताओं को ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता का परिणाम बताया है।

कांधला की इन बेटियों ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को गौरवान्वित किया है। उनकी यह जीत युवाओं के लिए एक संदेश है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अब क्षेत्र के नौनिहालों के लिए ये तीनों लड़कियां प्रेरणा की मिसाल बन गई हैं।

 

 

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