
जम्मू-कश्मीर आतंकी हमले के विरोध में कांधला में शोक सभा और कैंडल मार्च, नागरिकों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग!
आतंकियों को मिले सख्त सबक!” – कांधला विकास मंच के शोक सभा में उठी गुस्से और दुख की आवाज़!
28 निर्दोष सैलानियों की हत्या के विरोध में नगर का कैंडल मार्च, जैन स्थानक चौक पर मौन धारणकर दी श्रद्धांजलि
शामली। कांधला। जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में आतंकवादियों द्वारा 28 निर्दोष सैलानियों की निर्मम हत्या के विरोध में कांधला नगर के नागरिकों ने गुरुवार को शोक सभा आयोजित कर कैंडल मार्च निकाला। कांधला विकास मंच के आह्वान पर हुए इस कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए केंद्र सरकार और सेना से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की।
बुधवार देर शाम कांधला विकास मंच के संयोजक अमित गर्ग ने लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में शोक सभा का आयोजन किया। इसमें नगर की विभिन्न संस्थाओं और आम नागरिकों ने भाग लेकर अपना दुख और गुस्सा व्यक्त किया। व्यापार मंडल के अध्यक्ष ईश्वर दयाल कंसल ने आहत स्वर में कहा कि मंगलवार को उन सैलानियों के साथ क्या गलती थी, जो अपने परिवार के साथ खुशियाँ मनाने गए थे? एक बेटी के हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी, उसके सामने ही उसके पति को गोली मार दी गई। ये आतंकी किस मानवता में विश्वास रखते हैं? उन्होंने जोर देकर कहा कि असली श्रद्धांजली वही होगी जब प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सेना इस घिनौने अपराध का बदला लेंगे।
शोक सभा के बाद नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए एक विशाल कैंडल मार्च निकाला गया। प्रतिभागियों ने हाथों में तिरंगा थामे “आतंकवाद मुर्दाबाद” और “राष्ट्र एकता जिंदाबाद” के नारे लगाए। यह मार्च जैन स्थानक चौक पर समाप्त हुआ, जहाँ सभी ने दो मिनट का मौन रखकर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इस अवसर पर भाजपा नेता तरुण अग्रवाल, समाजसेवी जनेश्वर चौहान, ब्रह्मचारी आशुतोष महाराज, पूर्व पालिकाध्यक्ष हाजी इस्लाम, डॉ. सुभाष मलिक, जितेंद्र सैनी, सर्वेश वर्मा सहित सैकड़ों नागरिक मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ देश को एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
कार्यक्रम के अंत में अमित गर्ग ने कहा कि यह प्रदर्शन सिर्फ शोक जताने के लिए नहीं, बल्कि सरकार को यह याद दिलाने के लिए है कि जनता आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहती है। उन्होंने सभी देशवासियों से शांति और एकता बनाए रखने की अपील की।
कांधला का यह जनआक्रोश देशभर में आतंकवाद के विरुद्ध उठती आवाजों का हिस्सा बन गया है। नागरिकों ने स्पष्ट किया है – “रक्त से लिखे गए इतिहास को आतंक कभी नहीं मिटा सकता।”