
200 साल पुराना कंडोम अम्स्टर्डम संग्रहालय में हुआ प्रदर्शित, 19वीं सदी की यौनिकता के अवशेषों के बीच मिला स्थान!
जानवर की आंत से बना था 1820 का कंडोम! अम्स्टर्डम संग्रहालय में ऐतिहासिक निरोधक ने मचाई सनसनी!
19वीं सदी के यौन स्वास्थ्य का जीवंत दस्तावेज: Rijksmuseum ने प्रिंट रूम में लगाई दुर्लभ कंडोम प्रदर्शनी!
अम्स्टर्डम, 09 जून। नीदरलैंड्स के प्रतिष्ठित Rijksmuseum में मंगलवार को एक अनोखे ऐतिहासिक अवशेष ने दस्तक दी—एक लगभग 200 साल पुराना कंडोम (1820-1840)। यह निरोधक संग्रहालय के “प्रिंट रूम” में प्रदर्शित किया गया है, जो 19वीं सदी की यौनिकता और वेश्यावृत्ति से जुड़ी कलाकृतियों को समर्पित है। इसके साथ ही उस युग की चित्रकारी, लिथोग्राफ और फोटोग्राफ भी रखी गई हैं, जो यौन स्वास्थ्य के इतिहास पर प्रकाश डालती हैं।
प्रदर्शनी का महत्व:
सामग्री और निर्माण: यह कंडोम जानवर की आंत (आमतौर पर भेड़ या बकरी) से हाथ से बनाया गया था। उस समय रबर के आविष्कार से पहले, ऐसी सामग्रियों का उपयोग किया जाता था। हैरानी की बात यह है कि इसे धोकर पुनः इस्तेमाल किया जा सकता था।
ऐतिहासिक संदर्भ: 19वीं सदी में यूरोप में गर्भनिरोधकों के प्रति जागरूकता कम थी, और ऐसे उपकरण अमीर वर्ग तक ही सीमित थे। इस कंडोम का प्रदर्शन उस युग की सामाजिक रूढ़ियों और चिकित्सा सीमाओं को उजागर करता है।
संग्रहालय का उद्देश्य: Rijksmuseum के अनुसार, यह प्रदर्शनी “यौनिकता के इतिहास को सामान्य बनाने” की कोशिश है। प्रिंट रूम का लक्ष्य है कि लोग अतीत में मानव शरीर और यौन व्यवहार के प्रति नजरिए को समझें।
प्रतिक्रियाएँ और सांस्कृतिक प्रभाव:
इस प्रदर्शनी को लेकर यूरोपीय इतिहासकारों में खासा उत्साह है। डॉ. एल्सा वैन डेर हेइजेन (यौनिकता इतिहास विशेषज्ञ) के अनुसार, “यह कंडोम न सिर्फ चिकित्सा इतिहास का प्रतीक है, बल्कि उस जमाने की सामाजिक असमानताओं को भी दर्शाता है।” कुछ आलोचकों का मानना है कि ऐसे प्रदर्शन यौन शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हैं।
समानांतर घटनाक्रम:
हालांकि खोज परिणामों में इस विषय से सीधे जुड़ी जानकारी नहीं मिली, परंतु सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़े ताजा समाचार प्रासंगिक हैं। उदाहरण के लिए, बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला ने हाल ही में “जोश में होश खोने” की बात कहकर सामाजिक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित किया , जो दिखाता है कि कैसे ऐतिहासिक और समकालीन घटनाएँ सार्वजनिक बहस को आकार देती हैं।
भविष्य की योजनाएँ:
Rijksmuseum इस प्रदर्शनी को 2026 तक जारी रखेगा और इसे यूरोप के अन्य संग्रहालयों में भी ले जाने पर विचार कर रहा है। साथ ही, संबंधित विषयों पर एक डिजिटल आर्काइव तैयार किया जा रहा है, जिसमें 19वीं सदी के यौन स्वास्थ्य उपकरणों की तस्वीरें और दस्तावेज शामिल होंगे।
यह 200 साल पुराना कंडोम न सिर्फ चिकित्सा इतिहास का दुर्लभ नमूना है, बल्कि उस दौर की सामाजिक मान्यताओं का भी दर्पण है। Rijksmuseum की यह पहल इतिहास के उन पहलुओं को सामने ला रही है, जिन पर पहले चुप्पी रखी जाती थी। जैसा कि संग्रहालय कहता है: “अतीत की वर्जनाओं को समझना ही भविष्य की खुली बहस की नींव है।”