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गाजा संकट: 17 यूरोपीय देशों ने इजरायल पर कसा शिकंजा, ब्रिटेन ने व्यापार वार्ता रोकी!

इजरायल का ‘गिदओन्स चारियट्स’ ऑपरेशन, एक दिन में 151 मौतें; आंशिक राहत की अनुमति!

यूरोपीय संघ में इजरायल के खिलाफ बढ़ता विद्रोह, मानवाधिकार उल्लंघन पर जोरदार निंदा!

गाजा पट्टी में इजरायल की सैन्य कार्रवाई और मानवीय संकट गहराता जा रहा है। इजरायली सेना ने “गिदओन्स चारियट्स” नाम से अब तक का सबसे बड़ा जमीनी ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें महज एक दिन में 151 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। इसके बावजूद, इजरायल ने तीन महीने की नाकाबंदी के बाद गाजा में सीमित राहत सामग्री भेजने की अनुमति दी है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने “समुद्र में एक बूंद” बताया है।

17 यूरोपीय देशों ने इज़राइल के ख़िलाफ़ उठाई आवाज़!

इजरायल की कार्रवाइयों से नाराज़ यूरोपीय संघ के 17 देशों—स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, इटली, चेक गणराज्य, ग्रीस, पोलैंड, क्रोएशिया, साइप्रस, लक्ज़मबर्ग और स्लोवेनिया—ने इजरायल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इन देशों ने EU-इजरायल समझौतों की समीक्षा और मानवाधिकार उल्लंघन की निंदा करते हुए दबाव बढ़ाया है।

ब्रिटेन ने व्यापार वार्ता रोकी, फ्रांस ने फिलिस्तीनी राज्य का समर्थन किया!

ब्रिटेन ने इजरायल के साथ चल रही मुक्त व्यापार वार्ता को निलंबित कर दिया है और वेस्ट बैंक में हिंसा के लिए इजरायली नेताओं पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की है। वहीं, फ्रांस ने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के अपने रुख को दोहराया है, जबकि कनाडा ने भी इजरायल की सैन्य कार्रवाई की निंदा की है।

इजरायल का रुख: “सुरक्षा हमारी प्राथमिकता”

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव को खारिज करते हुए कहा कि गाजा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया जाएगा। उन्होंने राहत सामग्री की अनुमति को “राजनयिक दबाव” बताया, लेकिन चेतावनी दी कि हमास को कोई लाभ नहीं मिलने दिया जाएगा।

मानवीय संकट: भुखमरी और तबाही

गाजा में 5 लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं, जबकि 10 लाख से अधिक पोषण संकट से जूझ रहे हैं। इजरायली हमलों में खाद्य उत्पादन प्रणाली ध्वस्त होने से कीमतें 3000% तक बढ़ चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर तत्काल सहायता नहीं पहुंची, तो अकाल का खतरा और बढ़ेगा।

गाजा संकट अब एक जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है, जहां इजरायल की सैन्य रणनीति और यूरोपीय देशों की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं टकराव को और बढ़ा रही हैं। जबकि इजरायल अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय मानवाधिकारों के हनन और शांति वार्ता की मांग कर रहा है।

 

 

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