
पाकिस्तानी नेता पलवाशा खान का विवादित बयान- बाबरी मस्जिद की नींव में पाक सैनिक लगाएंगे पहली ईंट, अजान देगा आर्मी चीफ़!
भारतीयों का जवाब- “गाजा के मासूमों की चीख नहीं सुनते, बाबरी पर बयानबाजी करने वाले संवेदनहीन!
फलस्तीनियों की मदद को आगे आएं पाकिस्तान! – भारतीय समाज ने उठाए सवाल!
नई दिल्ली। पाकिस्तान की नेता और महिला सीनेटर पलवाशा ख़ान का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर गर्दिश करता दिखाई दे रहा है, जिसमें पलवाशा ख़ान ने संसद में एक विवादित बयान देकर भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक विवादों को फिर से हवा दे दी है। उन्होंने दावा किया कि “वह दिन दूर नहीं जब बाबरी मस्जिद की पहली ईंट रावलपिंडी के सैनिक रखेंगे और पहली अजान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर देंगे।” यह बयान उस समय सामने आया है, जब भारत में अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है और यह विवादित स्थल अब एक अंतरराष्ट्रीय सांप्रदायिक संवेदनशीलता का केंद्र बना हुआ है। पल्वाशा ख़न आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की नेता है। उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का जासूस गर्ल कहा जाता है।
बाबरी मस्जिद का ज़िक्र और पाकिस्तानी दावे!
पलवाशा खान ने अपने बकवास-बाज़ी भाषण में कहा कि पाकिस्तान की सेना और जनता उस दिन के लिए प्रतिबद्ध है जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण होगा। उनके इस बयान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल और धार्मिक उन्माद भड़काने का प्रयास बताया जा रहा है। भारतीय राजनीतिक हल्कों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है।
भारत की ओर से जवाब: “गाज़ा को भूल गए पाकिस्तान?”
भारतीय मुसलमानों और सोशल मीडिया यूजर्स ने पलवाशा खान और पाकिस्तानी प्रशासन को करारा जवाब देते हुए कहा है कि “जिस पाकिस्तान को बाबरी मस्जिद की चिंता है, वह गाजा में फलस्तीनी मुसलमानों के नरसंहार पर चुप क्यों है?” भारतीय मुसलमानों ने इशारा किया कि गाजा में इज़राइली हमलों में सैकड़ों मासूम बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग मारे जा चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया निष्क्रिय बनी हुई है।
फलस्तीनियों की पुकार और पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल!
आलोचकों ने कहा कि “पलवाशा खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख अगर वाकई मुस्लिम एकजुटता का दिखावा करते हैं, तो वे फलस्तीनी आवाम की मदद के लिए आगे आएं। गाजा में बमबारी रोकने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहल करें।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान ने अब तक गाजा संकट पर ठोस कार्रवाई करने के बजाय केवल राजनयिक बयानों तक ही सीमित रुख अपनाया है।
पलवाशा खान के बयान ने न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान तनाव को फिर से उजागर किया है, बल्कि मुस्लिम दुनिया की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। जहां एक ओर गाजा का संकट गहराया हुआ है, वहीं धार्मिक प्रतीकों को लेकर की जा रही राजनीति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवादास्पद माना जा रहा है।