
पोप फ्रांसिस का निधन: इंसानियत और अंतरधार्मिक संवाद की बुलंद आवाज़ खामोश: अतहर शम्सी
मुफ़्ती अतहर शम्सी ने कहा – पोप की विरासत ने सिखाया कि धर्म फासले नहीं, संवाद की बुनियाद बने!
वेटिकन में शोक की लहर, दुनिया भर में याद किए जा रहे पोप के शांति और समानता के प्रयास!
कैराना। 21 अप्रैल। अल क़ुरआन एकेडमी कैराना के निदेशक और प्रमुख स्लामिक स्कॉलर मुफ़्ती अतहर शम्सी ने वेटिकन सिटी में 88 वर्ष की आयु में पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे “मानवता के लिए अपूरणीय क्षति” बताया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पोप फ्रांसिस केवल एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि इंसाफ, शांति और अंतरधार्मिक सद्भाव की वैश्विक प्रतीक थे।
पोप का स्वास्थ्य संघर्ष और निधन:
पोप फ्रांसिस लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 14 फरवरी को उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्हें निमोनिया, एनीमिया और किडनी संबंधी जटिलताओं का इलाज चल रहा था। 21 अप्रैल की सुबह वेटिकन स्थित उनके निवास पर उनका निधन हो गया। उनके शव को सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखे जाने की तैयारी है, और बुधवार तक उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता है।
मुफ़्ती शम्सी का श्रद्धांजलि संदेश:
मुफ़्ती अतहर शम्सी ने पोप की विरासत को याद करते हुए कहा कि पोप फ्रांसिस ने सिखाया कि धर्मों के बीच अंतर फासले नहीं, बल्कि संवाद और मानवता की नींव हो सकते हैं। उन्होंने पोप के उन प्रयासों को रेखांकित किया जिनमें शरणार्थियों के अधिकारों की वकालत, पर्यावरण संरक्षण को मिशन बनाना, और इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने वाली मानसिकता की निंदा शामिल थी। शम्सी ने विशेष रूप से पोप द्वारा क़ुरआन के शांति और रहमत के संदेश को स्वीकार करने की प्रशंसा की।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ और विरासत:
दलाई लामा ने पोप को “दूसरों की सेवा में समर्पित व्यक्ति” बताया।
ईरानी राष्ट्रपति ने गाजा संकट पर उनके मानवीय रुख की सराहना की।
स्पेन ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।
पोप ने समलैंगिक अधिकारों, पुनर्विवाह की धार्मिक मान्यता, और चर्च में यौन शोषण पीड़ितों से माफी जैसे सुधारवादी कदम उठाए थे।
अंतरधार्मिक संवाद का प्रतीक:
पोप फ्रांसिस ने 2013 में पद संभालने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने 2016 में अल-अजहर विश्वविद्यालय (मिस्र) का दौरा किया और 2019 में अबु धाबी में “मानव भाईचारा” समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो ईसाई-मुस्लिम एकता का ऐतिहासिक दस्तावेज़ माना जाता है।
पोप के निधन के बाद, नए पोप के चयन के लिए पैपल कॉन्क्लेव प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें 80 वर्ष से कम उम्र के कार्डिनल्स वोटिंग करेंगे। इस दौरान सिस्टिन चैपल में सफेद धुँए के माध्यम से नए पोप के चयन की घोषणा की जाएगी।
मुफ़्ती अतहर शम्सी ने कहा कि पोप फ्रांसिस की विरासत न केवल ईसाई समुदाय, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। उन्होंने अल क़ुरआन एकेडमी की ओर से वेटिकन और ईसाई समुदाय के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की दुनिया को ऐसे ही नेतृत्व की ज़रूरत है, जो नफ़रत को मोहब्बत में बदल सके।