
कैराना सरकारी अस्पताल के सीनियर सर्जन डॉक्टर मनीष राठी का रिश्वतखोरी का खुला खेल, ऑपरेशन के नाम पर मांगी हज़ारों की रकम!
स्टाफ के लिए अलग हिस्सा तय करते हैं डॉ. मनीष! सर्जरी के बहाने पूरी टीम को बनाया रिश्वत का साझीदार!
“न लज्जा, न डर…” कैमरे में कैद हुआ सीएचसी कैराना के डॉक्टर का बेशर्म आचरण, पीड़ितों ने उठाए सवाल
सिस्टम की बीमारी बन गई है रिश्वतखोरी, अब क्या स्वास्थ्य विभाग उठाएगा ठोस कदम?
शामली (उत्तर प्रदेश): जनपद के कैराना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात वरिष्ठ सर्जन डॉ. मनीष राठी रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। एक निजी न्यूज़ चैनल के छिपे कैमरे में डॉ. राठी को मरीजों से ऑपरेशन के नाम पर हज़ारों रुपये की रिश्वत मांगते हुए रिकॉर्ड किया गया है। वीडियो में डॉक्टर द्वारा न केवल खुद के लिए, बल्कि अस्पताल स्टाफ के लिए भी अलग से रकम तय करने का खुलासा हुआ है।
ऑपरेशन टेबल पर चढ़ने से पहले 10 हजार मुझे, 5 हजार स्टाफ को!
सूत्रों के अनुसार, डॉ. मनीष मरीजों को ऑपरेशन से पूर्व साफ़ शब्दों में रिश्वत की मांग करते हैं, और स्टाफ का हिस्सा अलग से लेते हैं! एक पीड़ित परिवार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉक्टर ने धमकी दी कि बिना पैसे दिए ऑपरेशन नहीं होगा। उन्होंने 10,000 रुपये अपने लिए और 5,000 रुपये स्टाफ के लिए मांगे। मजबूरी में हमें पैसे देने पड़े।
सी-सेक्शन के नाम पर आलिया का शोषण, परिजनों ने उठाए सवाल
मामले की शिकार मोहल्ला आलकलां निवासी आलिया पत्नि फराज के परिजन बताते हैं कि सीजेरियन ऑपरेशन के दौरान डॉ. राठी ने रिश्वत की मांग की। आलिया के परिजनों ने आरोप लगाया कि हम गरीब हैं, लेकिन डॉक्टर ने पैसे न देने पर ऑपरेशन रोकने की धमकी दी। पैसे देने के बाद भी आलिया को पोस्ट-ऑपरेशन समस्याओं का सामना करना पड़ा।
वीडियो में दिखी डॉ. राठी की ‘बेशर्मी’, न लज्जा न भय!
छिपे कैमरे के फुटेज में डॉ. राठी के चेहरे पर न तो शर्मनाक हरकतों का पछतावा दिखाई देता है और न ही कानून का डर। उनकी यह बेलाग बॉडी लैंग्वेज सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करती है।
नागरिकों ने उठाए सवाल: “क्या स्वास्थ्य विभाग सोया है?”
स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राठी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी पाए जाने पर सर्जन को निलंबित करने की अपेक्षा की जा रही है। हालांकि, अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
सिस्टम की बीमारी बन चुका है भ्रष्टाचार
यह मामला सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। गरीब मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर डॉक्टर और स्टाफ द्वारा रिश्वत की यह ‘काली करामात’ स्वास्थ्य सेवाओं पर समाज के विश्वास को ठेस पहुंचा रही है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाएगा या भ्रष्टाचार के इस घिनौने खेल को और पनपने देगा?