केदारनाथ रूट पर भूस्खलन में 2 तीर्थयात्रियों की मौत, 3 घायल!
भारी बारिश के बीच केदारनाथ यात्रा जारी, पीले अलर्ट के साथ जारी है भूस्खलन का खतरा!
रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड), 18 जून। केदारनाथ धाम की यात्रा मार्ग पर बुधवार सुबह एक भीषण भूस्खलन की घटना हुई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। घटना सुबह 11:20 बजे जंगलेचट्टी घाट के निकट घटी, जहाँ पहाड़ी से लुढ़कते विशाल बोल्डरों ने तीर्थयात्रियों और कंडी/पालकी वाहकों को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में पीड़ित एक गहरी खाई में गिर गए। रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोन्डे ने पुष्टि की कि मृतकों में से दो की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन घायलों को गौरीकुंड के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। घायलों में एक महिला भी शामिल है, जिसके हल्के घाव हैं, जबकि दो पुरुष गंभीर रूप से जख्मी हैं।
बचाव अभियान की चुनौतियाँ:
पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने रस्सियों की मदद से घायलों और मृतकों को खाई से निकाला। अधिकारियों के अनुसार, दुर्गम इलाके और चल रही बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन काफी मुश्किल रहा।
घटनास्थल पर एनडीआरफ टीम भी तैनात की गई, जिसने घायलों को सुरक्षित निकालकर उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई।
मृतकों और घायलों की पहचान अभी जारी है। पुलिस ने बताया कि शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए रुद्रप्रयाग रेफर अस्पताल भेजा गया है।
यात्रा पर प्रभाव और सुरक्षा उपाय:
घटना के बाद भी तीर्थयात्रियों का आवागमन जारी है, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा के लिए मार्ग पर सघन निगरानी बढ़ा दी है। अधिकारियों ने यात्रियों को “पूरी सतर्कता” बरतने का निर्देश दिया है।
इससे पहले, 16 जून को भी इसी मार्ग पर भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और दो घायल हुए थे। उस घटना के बाद यात्रा को कुछ घंटों के लिए रोक दिया गया था।
मौसमी चेतावनी और भविष्य की आशंकाएँ:
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों के लिए पीला अलर्ट जारी किया है। 18 से 23 जून तक भारी बारिश, गरज और तेज़ हवाओं की चेतावनी दी गई है, जिससे भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।
प्रशासन ने यात्रियों से अनावश्यक जोखिम न लेने की अपील की है। सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक के ट्रेक को अभी आंशिक रूप से बंद रखा गया है, और केवल पुलिस सुरक्षा में ही यात्रियों को आगे बढ़ने की अनुमति दी जा रही है।
केदारनाथ धाम के कपाट इस साल 2 मई को खोले गए थे। चार धाम यात्रा के दौरान मानसून में भूस्खलन एक सामान्य समस्या है, लेकिन लगातार दो घटनाओं ने सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक निर्माण और जलवायु परिवर्तन से पहाड़ियों का अस्थिर होना बढ़ रहा है।
अधिकारियों का बयान: एसपी अक्षय प्रह्लाद कोन्डे ने कहा कि “घटना की जाँच की जा रही है। हमने खतरनाक खंडों पर निगरानी बढ़ाई है, लेकिन यात्रियों को स्वयं भी सतर्क रहना होगा।”
शाम तक, यात्रा मार्ग पर सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया था, लेकिन भारी बारिश के कारण जोखिम बरकरार है। प्रशासन ने स्थानीय होटलों में रुके यात्रियों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।