
सहायता या जाल? GHF के केंद्रों पर अराजकता और हिंसा ने बढ़ाया गाजा का दर्द!
अमेरिका-इज़रायल समर्थित GHF के केंद्रों पर हंगामा: भूख से जूझते मासूम फिलिस्तीनियों पर बरसती हैं गोलियाँ, 200 से ज़्यादा मौतें! 400 से चार विवादास्पद केंद्रों पर सिमटी मदद!
रफाह/गाजा: गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता तक पहुँच अब एक जानलेवा जुआ बन गई है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा संचालित 400 छोटे वितरण केंद्रों के बजाय, अब केवल चार बड़े केंद्र ही सक्रिय हैं, जिन्हें विवादास्पद गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) चला रहा है। इन केंद्रों पर भीड़भाड़, अराजकता और इज़रायली सैनिकों की गोलबारी ने जून के पहले दो हफ्तों में 200 से अधिक मासूम फिलिस्तीनियों की जान ले ली है।
क्या है GHF और क्यों हो रहा विरोध?
सैन्य नियंत्रण: GHF को अमेरिका और इज़रायल का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसके केंद्रों की सुरक्षा इज़रायली सेना और अमेरिकी सुरक्षा ठेकेदारों द्वारा की जाती है। इन केंद्रों तक पहुँचने वाली सड़कों को इज़रायल ने “कॉम्बैट ज़ोन” (युद्ध क्षेत्र) घोषित कर रखा है।
जान का जोखिम: 20 किलो के सहायता पैकेट लेने के लिए लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इज़रायली सेना ने साफ कहा है कि शाम 6 बजे के बाद इन रास्तों पर जाना “जानलेवा” हो सकता है।
विस्थापन का डर: तीन केंद्र दक्षिणी गाजा (रफाह) में और एक नेत्ज़ारिम कॉरिडोर पर हैं। उत्तरी गाजा के लोगों को भोजन के लिए दक्षिण जाना पड़ रहा है, जिसे यूएन “जबरन विस्थापन की योजना” बता रहा है।
केंद्रों पर क्यों हो रही है गोलबारी?
भूख की हताशा: इन केंद्रों पर हर दिन हजारों लोग जमा होते हैं। 4 जून को GHF ने घोषणा की कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उन्हें काम रोकना पड़ा।
गोलीबारी की घटनाएँ:
1-3 जून के बीच रफाह के GHF केंद्र के पास इज़रायली सैनिकों की गोलबारी में 27 फिलिस्तीनी मारे गए। इज़रायल ने दावा किया कि लोग “निर्धारित रास्तों से हटकर” सैनिकों की ओर बढ़े।
12 जून को हमास ने GHF कर्मचारियों की बस पर हमला कर आठ लोगों को मार डाला। GHF ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि हमास “सहायता कार्यों में बाधा डाल रहा है”।
अराजकता: 6 जून को रफाह में भीड़ ने GHF केंद्र की बाड़ तोड़ दी और सहायता सामग्री लूट ली। एक शख्स ने बीबीसी को बताया—”लोगों को अपमानित किया गया, वे खाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं”।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय क्या कहता है?
यूएन की चेतावनी: यूएन के राहत प्रमुख टॉम फ्लेचर ने GHF को “हिंसा और विस्थापन का परदा” बताया है। उनका कहना है कि यह “सहायता को राजनीतिक हथियार बनाता है और भूख को सौदेबाजी की चिप के तौर पर इस्तेमाल करता है”।
यूरोपीय संघ का रुख: यूरोपीय विदेश नीति प्रमुख काजा कलास ने कहा है कि GHF की व्यवस्था “सहायता को हथियार बनाने” जैसी है।
मानवाधिकार संगठनों का आरोप: स्विस एनजीओ ट्रायल इंटरनेशनल ने GHF की जाँच की मांग की है। उनका कहना है कि यह संगठन “तटस्थ नहीं है और फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन को बढ़ावा दे रहा है”।
स्थानीय लोगों की पीड़ा
खान यूनिस की उम्म महमूद ने ईद के दिन बताया—”हम प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन बमबारी और गोलाबारी जारी थी। लोग थक चुके हैं, वे अपने बच्चों को खिलाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं”।
बेट लहिया के ज़ा’रब ज़ा’रब, जो अपने दो बेटों के साथ विस्थापित हैं, कहते हैं—”मैं कई संगठनों के पास गया, मैंने भीख माँगी… ये दोनों बच्चे किस गुनाह में मारे जा रहे हैं?”।
विशेषज्ञों का विश्लेषण
न्यूज़ीलैंड के प्रोफेसर रॉबर्ट पैटमैन कहते हैं—”GHF एक स्टार्ट-अप जैसा है जिसे बड़े दानदाताओं का समर्थन नहीं मिला। स्थापित मानवीय संगठनों का कहना है कि गाजा में किसी नए संगठन की ज़रूरत नहीं, बल्कि इज़रायल को नाकाबंदी हटानी चाहिए”।
भविष्य की चिंताएँ
GHF ने 12 जून को 2.6 मिलियन भोजन वितरित करने का दावा किया, लेकिन यूएन के अनुसार गाजा की 93% आबादी (लगभग 21 लाख लोग) अब भी भोजन संकट से जूझ रही है।
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि केवल चार केंद्रों पर निर्भरता विकलांगों, बुजुर्गों और घायलों को सहायता से वंचित कर रही है।
गाजा में मानवीय संकट अब एक “नरक से भी बदतर” स्थिति में पहुँच चुका है, जैसा कि रेड क्रॉस प्रमुख ने बीबीसी को बताया कि “जब तक इज़रायल यूएन और तटस्थ एजेंसियों को पूरी तरह से काम करने की अनुमति नहीं देता, तब तक GHF के विवादास्पद मॉडल के तहत सहायता की लड़ाई में मासूम फिलिस्तीनियों की जानें जाती रहेंगी।